आपको 2018 का कठुआ केस याद हैं? जहाँ मीडिया और सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने एक नेरेटिव ही सेट कर डाला था की मंदिर में बलात्कार होता हैं. जी हाँ हम बात कर रहें हैं कठुआ काण्ड की, जहाँ पुलिस ने एक तहखाने में लड़की को किडनैप करने की बात लिखी थी जो तहखाना मंदिर में मजूद ही नहीं था.
मंदिर एक चार दीवारी कमरा था और खिड़कियों वाला कमरा था, इसके इलावा मंदिर में रोज़ाना गाँव के लोग माथा टेकने जाते थे. ऐसे में किसी लड़की को चार दीवारी कमरे में कैद रखा हो जहाँ गाँव के लोग माथा टेकने जाते हो सुबह और शाम ऐसे में उनका ध्यान न पड़ा हो ऐसा कैसे हो सकता हैं.
इसके बावजूद मीडिया और सोशल मीडिया मंदिर में बलात्कार वाला नेरेटिव सेट करने में कामयाब रही और दुःख भरी बात यह है की हिन्दुवों का भी एक बड़ा वर्ग बिना अपनी बुद्धि का इस्तेमाल किये आरोप को सच मानने लगा. जिस लड़के को मुख्य आरोपी बताया जा रहा था विशाल जंगोत्रा वह बाद में CCTV फुटेज और ATM कार्ड के इस्तेमाल जो की उसने कठुआ से वारदात से कुछ मिनटों पहले कई हजार किलोमीटर दूर किया और अगर वारदात का समय देखा जाये तो उसे रॉकेट में बैठकर कठुआ पहुंचना चाहिए था.
इसी के चलते निर्दोष साबित हो गया, लेकिन यह बात आज कितने लोगों को पता होगी? अब मायावती के ऊपर एक फिल्म आने वाली है फिल्म ‘मैडम चीफ मिनिस्टर’ में ऋचा चड्ढा बताएगी की कैसे उन्होंने मंदिर में दलितों को प्रवेश दिलवाया था. भारत में कई हजार मंदिर आज बंद होने की कगार पर हैं, पहले ही कई हजार बंद हो चुके हैं.
सरकार मंदिरों में दान किये हुए पैसे पर मोटा टैक्स लेती है और बाकी बचे हुए पैसे पर भी मंदिर की कमेटी में बैठे सरकारी सदस्य सरकारी कार्यों में ही लगावा देती हैं. आज के हालात यह है की देश के कई मंदिर ऐसे हैं जिसमें एक अकेला पुजारी मंदिर की देखभाल और पूजा पाठ कर रहा है.
मंदिर का पुरे का पूरा कार्यभार उस पुजारी पर निर्भर होता हैं और बदले में उसे क्या मिलता हैं? ऐसे ही शेष बचे हुए मंदिरों को अब पूरी तरह से ख़त्म करने के लिए वामपंथी और आज के बुद्धिजीवी जुट चुके हैं. जिस प्रकार उन्होंने डेरा सिस्टम को ख़त्म किया है उसी तर्ज़ पर अब वह सीधा मंदिरों को ख़त्म करने की फिराख में हैं.
हिन्दू आज के समय में वैसे ही धार्मिक कार्यों से दूरी बनाये हुए हैं, निम्न वर्ग के लोग मंदिर और डेरों से जुडी भ्रांतियों के चलते आसानी के कन्वर्ट हो जाते हैं. अगर आप यह खबर पूरी पढ़ चुके हैं तो डासना मंदिर में हुए घटनाक्रम का दूसरा पहलु यानी उस मंदिर के पुजारी जी का वीडियो यूट्यूब पर जरूर देखें जिससे आपको वामपंथियों की यह चाल अच्छे से समझ आ सके.