एंटीलिया बम कांड में सचिन वाजे का एक बड़ा रोल होने की उम्मीद जताई जा रही हैं. NIA को सचिन वाजे के खिलाफ कई एहम सबूत मिले हैं जैसे मनसुख हिरेन की कार की असली नंबर प्लेट सचिन वाजे की कार से मिलना. कार खराब होने की रात मनसुख हिरेन का सचिन वाजे से मिलना और इस बात को छुपाना.
मनसुख हिरेन की लाश जिस इलाके में मिले वो सचिन वाजे के अंडर नहीं आता था, फिर भी पोस्टमार्टम होने तक उस केस को हैंडल करना. सचिन वाजे के सामने तैयार हुई पोस्टमार्टम रिपोर्ट आत्महत्या और मनसुख हिरेन के परिवार की गुजारिश पर सचिन वाजे के बाद दुबारा हुए पोस्टमार्टम में हत्या की बात पता चलना.
ऐसे में क्या इस हत्या कांड और एंटीलिया बम कांड सिर्फ सचिन वाजे ही शामिल थे? यह सवाल किसी के भी मन में उठ सकता हैं लेकिन इसी बीच अब पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के समर्थन में पहले ही ट्वीटर पर ट्वीट करवाए जा रहें हैं. यह ट्वीट BOT एकाउंट्स और ऐसे अकाउंट से हो रहें जिनका इस्तेमाल केवल हैशटैग ट्रेंड करवाने लिए होता हैं.
इन ट्वीट्स में स्कॉर्पिओ कार विवाद को राजनितिक प्रतिक्रिया से जोड़ते हुए ट्वीट करवाया गया हैं. जबकि किसी ने भी यह पूछने की कोशिश नहीं की आखिर यह जेलेटिन आया कहाँ से? यानी देश की आर्थिक राजधानी में एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति के घर के बाहर तक जेलेटिन बम से भरी कार पहुंची कैसे? क्या पुलिस ने 9/11 से अभी तक कोई सबक नहीं लिया था?
इसी तरह के कैंपेन दिशा टूलकिट के मामले में भी चलाये गए थे, अपराधी के पकडे जाने से पहले ही उसे इन सोशल मीडिया उसर्स ने ट्वीटर की अदालत में क्लीनचिट दे डाली थी. राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने फिलहाल एक सफ़ेद इनोवा कार को बरामद किया हैं, उस इनोवा कार का भी इस्तेमाल इस बम प्लांट के दौरान किया गया था.
दिलचस्प बात तो यह है की यह इनोवा कार मुंबई पुलिस कमिश्नरेट कार्यालय से ट्रेस किया गया हैं. इस पार पर पुलिस लिखा हुआ हैं जबकि कार आधिकारिक तौर पर पुलिस की नहीं हैं. फिर वह कार मुंबई पुलिस कमिश्नरेट कार्यालय तक कैसे पहुंची? क्या इसका इस्तेमाल जेलेटिन की झड़ों को स्कॉर्पिओ में रखने के लिए हुआ? बस इसी जाँच में फिलहाल NIA की पूरी टीम जुट चुकी हैं.