वामपंथियों ने कुछ दिन पहले गाजियाबाद के डासना में एक मंदिर के भीतर नाबालिग लड़के आसिफ की पिटाई को लेकर बहुत अच्छा नेरेटिव सेट करने की कोशिश की थी. सोशल मीडिया के जमाने में यह नेरेटिव 2 दिन भी नहीं टिक पाया. डासना में जिस मंदिर में आसिफ की पिटाई हुई बताया गया की वह वहां पानी पीने गए था.
लेकिन क्या वह सच में पानी पीने ही गया था? क्योंकि सरकारी नल तो मंदिर के बाहर भी लगे थे और मंदिर के गेट के बिलकुल साथ भी लगे थे. अगर किसी को सिर्फ पानी ही पीना हो तो वह मंदिर के बाहर और मंदिर के गेट के बिलकुल पास लगे नल से पानी पियेगा या फिर मंदिर के भीतर 500 मीटर चलकर बिलकुल अंतिम छोर पर जाकर पियेगा?
इसी सवाल को उठाते हुए डासना के मंदिर के पंडित जी ने बताया की यह इलाका 95 प्रतिशत मुस्लिमों से भरा हुआ हैं. यहाँ के मुस्लिम बच्चे मंदिर में आकर हिन्दू लड़कियों को छेड़ते हैं, शिवलिंक के पास जाकर थूकते हैं, कहीं पर भी शौच कर देते हैं. यह मंदिर प्राचीन है और इसकी पवित्रता बनाये रखने के लिए हमने समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान लगभग 10 से 11 साल पहले ही इस मंदिर के बाहर मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित है वाला बोर्ड लगा रखा था.
53 वर्षीय यति नरसिंहानंद सरस्वती ही डासना देवी मंदिर के महंत हैं और वह कहते हैं की बाहर बैठकर बातें करना आसान होता है 95 प्रतिशत मुस्लिमों के बीच एक मंदिर को चलाना आसान नहीं हैं. उन्हें कई बार जान से मारने की धमकियाँ मिल चुकी हैं और उन्हें मजबूरी में बंदूकों के साये में रहना पड़ता हैं.
ऐसे में सवाल यह भी उठता है की क्या वामपंथी इस्लामिक कट्टरवाद को यति नरसिंहानंद सरस्वती के खिलाफ भड़काने का नेरेटिव सेट कर रही हैं? क्योंकि यति नरसिंहानंद सरस्वती का साफ़ कहना है की यह सिर्फ बच्चे नहीं हैं, आप एक बार नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाकर देखिये ऐसे बच्चों ने कैसे कैसे अपराध किये हुए हैं.
मुस्लिम समाज बच्चों का ही प्रयोग करके चोरी, हत्या आदि के अपराधों को अंजाम देता हैं. अब क्योंकि यह बच्चे हैं तो पकडे जाने के बाद इन्हें भारतीय कानून के हिसाब से सज़ा भी कम होती हैं. उन्होंने कहा मंदिर में कई बार डकैती की घटनाएं हो चुकी हैं कई बार बड़े दंगे होने से बचाया गया हैं, कई बार ऐसे बच्चों को हमने लड़कियां छेड़ने के जुर्म में पुलिस में पकड़वाया है और आप कह रहें हैं वो निहत्थे पानी पिने आये थे?