सरकारी बबुवों से जनता तो परेशान है ही अब तो उत्तर प्रदेश के CMO में बैठे अधिकारी भी परेशान हो गए हैं. उत्तर प्रदेश के DM समेत 25 अफसरों को नोटिस जारी कर कारण बताने के लिए कहा गया हैं. दरअसल इन अधिकारीयों के खिलाफ लगातार CMO में शिकायतें आ रही थी की यह आम जनता के साथ बिलकुल भी सहयोग नहीं करते.
यहां तक की जरूरत पड़ने पर यह अक्सर फ़ोन भी नहीं उठाते. किसी सरकारी बाबू का जनता के प्रति यह व्यवहार तो आम बात है लेकिन क्या हो जब प्रदेश के मुख्यमंत्री के ऑफिस से आया फ़ोन ही न उठाया जाये? ऐसा ही किया इन DM समेत 25 अफसरों ने और अब उन्हें नोटिस भेज दिया गया हैं.
योगी सरकार ने पहले भी कामचोर और भ्रस्ट अधिकारियों को जबरन रिटायर किया हैं. आपको बता दें की केंद्र हो या फिर राज्य सरकार DM और अफसरों की मदद के बिना वह आम जनता तक अपनी योजनाओं को नहीं पहुंचा सकती. DM और बड़े अफसर सरकार और आम जनता के बीच एक पुल की तरह काम करते हैं.
लेकिन भ्रस्ट और कामचोर अधिकारी अक्सर इस बात को नज़रअंदाज़ करते हैं और जनता के गुस्से का शिकार इन अधिकारीयों से ज्यादा सरकार को झेलना पड़ता हैं. इसीलिए उत्तर प्रदेश में CMO से एक अभियान चलाया गया और फिर कमिश्नर, डीएम, एसएसपी और एसपी समेत कई बड़े अधिकारीयों फ़ोन कॉल किया गया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी, मुख्यमंत्री का गृहनगर गोरखपुर, प्रयागराज और अलीगढ़ जैसे बड़े मंडलों के आयुक्तों (कमिश्नर) ने तो CMO से आये फ़ोन पर तो जवाब देना भी जरूरी नहीं समझा. आगरा, मेरठ और आजमगढ़ मंडल के आयुक्तों का तो CMO द्वारा मिलाया गया फ़ोन पहुंचा ही नहीं.
ऐसा ही कुछ हाल कानपुर नगर, कानपुर देहात, कन्नौज, औरैया, गोरखपुर, अलीगढ़, आजमगढ़, मऊ, कुशीनगर, झांसी, जालौन, अमरोहा, उन्नाव, आगरा, इटावा के जिलाधिकारियों का भी हुआ. उन्होंने CMO से आये फ़ोन को या तो उठाया नहीं या फिर किसी दूसरे ने उठाया और उनसे बात ही नहीं हो पाई.
वहीं बात करें पुलिस के बड़े अधिकारीयों की तो आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, मथुरा, अलीगढ़, प्रयागराज, कानपुर, इटावा, कन्नौज, औरैया, कुशीनगर, जालौन, मेरठ, शामली, रायबरेली जिलों में भी CMO ऑफिस से गए फ़ोन को तव्वजो नहीं दी गयी. ऐसे में यह सोचने वाली बात है की अगर CMO ऑफिस से गयी फ़ोन कॉल का यह हाल है तो आम जनता द्वारा लगाई गयी मदद की गुहार पर यह लोग कैसे मदद करते होंगे?