26 जनवरी की घटना के बाद दिल्ली पुलिस ने बुधवार (जनवरी 27, 2020) को 22 एफआईआर में 10 ऐसे किसान नेताओं का नाम जोड़ा हैं जो किसान आंदोलन का लगातार हिस्सा बने हुए थे. इसके इलावा कुल 300 से अधिक गिरफ्तारियां हुई हैं, 2200 से अधिक आतंकियों की पहचान की गई हैं और उनकी तलाश जारी हैं.
किसान आंदोलन से जुड़े दो सबसे बड़े नाम राकेश टिकैत और योगेंद्र यादव के उन भाषणों को खंगाला जा रहा है जिन भाषणों को अदालत में सबूत के तौर पर पेश करते हुए उन्हें दोषी ठहराया जा सके. पुलिस का कहना है की हमने किसानों को ट्रेक्टर मार्च कुछ शर्तों पर निकालने की मंजूरी दी थी, जिसमें सबसे पहली शर्त यह थी की यह मार्च शांतिपूर्वक होगा.
दूसरा हमने उन्हें ट्रेक्टर मार्च निकालने के लिए एक रुट दिया था, उस रुट का उन्होंने पालन नहीं किया और बेरिकेट तोड़ते हुए उन्होंने लाल किले पर कब्ज़ा कर लिया. दिल्ली पुलिस ने अपनी एफआईआर में किसान ट्रैक्टर रैली के संबंध में जारी एनओसी के उल्लंघन के लिए किसान नेताओं दर्शन पाल, राजिंदर सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल, बूटा सिंह बुर्जिल और जोगिंदर सिंह उग्राहाँ के नामों को भी शामिल किया हैं.
इन दंगों में 300 से अधिक पुलिस कर्मी घायल हुए हैं और ज्यादातर पुलिसकर्मी आईटीओ और लाल किले पर दंगों के दौरान घायल हुए. सुप्रीम कोर्ट में भी इन किसान नेताओं और संगठनों के खिलाफ याचिका दायर हो चुकी हैं और इन सभी के खिलाफ गंभीर धाराओं के तहत मुक़दमा चलाने की इज़ाज़त मांगी गई हैं.
पुलिस ने किसानों को 24 घंटे के अंदर-अंदर दिल्ली और उसके आस पास के बॉर्डर खाली करने के निर्देश जारी कर दिए हैं. हरियाणा पुलिस, दिल्ली पुलिस और उत्तर प्रदेश की पुलिस भारी संख्या बल में बॉर्डर्स को खाली करवाने के लिए जूट चुकी हैं. पुलिस ने दंगों के आरोपितों पर IPC की धारा 395 (डकैती), 397 (लूट या डकैती, मारने या चोट पहुँचाने की कोशिश), 120बी (आपराधिक साजिश की सजा) और अन्य धाराओं के तहत FIR दायर की हैं.
दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने ब्यान देते हुए कहा है की, “हम पहले ही 200 प्रदर्शनकारियों को, दंगे करने, सार्वजनिक संपत्तियों के नुकसान पहुँचानेऔर पुलिस कर्मियों पर हमला करने के लिए हिरासत में ले चुके हैं. हम अच्छे से सत्यापन करने के बाद गिरफ्तारी कर रहे हैं. हम लाल किला, आईटीओ, नांगलोई और अन्य क्षेत्रों में सीसीटीवी भी देख रहे हैं, जहाँ हिंसा भड़की थी.”