किसान आंदोलन काफी महीनों से शांतिपूर्वक चल रहा हैं ऐसा दिखाया जा रहा था. असल में पंजाब में सिख टॉवरों से जेनेटर चोरी कर गुरुद्वारा में दान कर रहे थे. पतंजलि की दुकानों को बंद करवाया जा रहा था, रिलायंस फ्रेश के स्टोर्स को बंद करवाया जा रहा था इसके इलावा रिलायंस के पेट्रोल पंप्स को भी बंद करवाया गया था.
लेकिन फिर भी लोगों का कहना था की यह प्रदर्शन शांतिपूर्वक हैं. खैर ट्रैक्टर रैली की बात लगभग सभी किसान संगठनों के नेताओं ने की थी, एक दिन पहले तक यही किसान नेता कह रहे थे की ट्रैक्टर रैली में सिर्फ और सिर्फ किसान ही मजूद हैं. हिंसा के तुरंत बाद इनके तेवर बदल गए और हिंसा से खुद को अलग करते हुए नज़र आए.
मामला राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का था, इसलिए पुलिस ने ताबड़तोड़ एफआईर और गिरफ्तारियां करनी शुरू कर दी. जिसके बाद किसान नेताओं में अब आपसी फुट साफ़ नज़र आने लगी हैं. VM Singh ने साफ़ तौर पर ब्यान देते हुए कहा है की यह हिंसा राकेश टिकैत के नाक के निचे से हुए हैं, वहीँ पुलिस के बताये रास्ते से अलग जाकर रैली निकालना चाहते थे.
अपनी बात को वजन देते हुए उन्होंने राकेश टिकैत के उस ब्यान का भी जिक्र किया जिसमें उन्होंने ट्रैक्टर रैली से ठीक एक दिन पहले कहा था की अगर कोई ट्रैक्टर रैली को रोकने की कोशिश करेगा तो ट्रैक्टर उसकी ऊपर से जाएंगे लेकिन रैली रुकेगी नहीं. ‘दिल्ली पुलिस के बक्कल उधेड़’ देंगे जिसे बयानों के चलते यह हिंसा हुई.
वीएम सिंह ने मीडिया को दिए अपने ब्यान में कहा की, “हिंदुस्तान का झंडा, गरिमा, मर्यादा सबकी है. उस मर्यादा को अगर भंग किया है, भंग करने वाले गलत हैं और जिन्होंने भंग करने दिया वो भी गलत हैं. आईटीओ में एक साथी शहीद भी हो गया. जो लेकर गया या जिसने उकसाया उसके खिलाफ पूरी कार्रवाई होनी चाहिए.”
वीएम सिंह ने कहा की राकेश टिकैत जब भी केंद्र से मीटिंग करने जाते एक ही बात लेकर जाते की सरकार जो भी कहेगी हम ना ही करेंगे. उन्होंने कभी समझौता करने की कोशिश ही नहीं की, गन्ना किसानों की पेमेंट्स जो चीनी मिल रोक लेती हैं उनको लेकर केंद्र को सुझाव देना था लेकिन राकेश टिकैत ने बिल वापिस लो के इलावा किसानों के फायदे के लिए कोई मुद्दा नहीं उठाया. वह किसान संगठनों का समर्थन लेकर एक बड़ा किसान नेता बनने की छह लेकर शांतिपूर्वक प्रदर्शन को हिंसा के लिए भड़का गया.