दिल्ली हिंसा के बाद जब किसान आंदोलन पूरी तरह से खालिस्तानी आंदोलन के रूप में बेनकाब हो गया, उस समय संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt Kisan Morcha) ने मीडिया को सम्बोधित करते हुए सबसे पहले इस हिंसा से खुद को अलग कर लिया. उनका कहना है की हिंसा करने वाले लोगों का उनसे कोई लेना देना नहीं हैं.
संयुक्त किसान मोर्चा ने मीडिया के द्वारा देशवासियों को सन्देश देते हुए कहा की, “आज के किसान गणतंत्र दिवस परेड में अभूतपूर्व भागीदारी के लिए हम किसानों को धन्यवाद देते हैं. हम उन अवांछनीय और अस्वीकार्य घटनाओं की भी निंदा करते हैं और खेद जताते हैं, जो आज घटित हुई हैं तथा इस तरह के कृत्यों में लिप्त लोगों से हम खुद को अलग करते हैं.”
संयुक्त किसान मोर्चे ने इस हिंसा का अलग ही नजरिया पेश करते हुए इसे दूसरे संगठनों की साजिश बता दिया. उन्होंने कहा की, “हमारे सभी प्रयासों के बावजूद कुछ संगठनों और लोगों ने मार्ग का उल्लंघन किया और निंदनीय कृत्यों (Farmers violence) में लिप्त रहे. असामाजिक तत्वों (Anti-social elements) ने शांतिपूर्ण आंदोलन में घुसपैठ की. हमने हमेशा माना है कि शांति हमारी सबसे बड़ी ताकत है और कोई भी उल्लंघन आंदोलन को नुकसान पहुंचेगा.”
लेकिन इसके बावजूद जो किसान नेता पहले यह कहते थे की अगर पुलिस ने ट्रैक्टर रोकने की कोशिश की तो हम उनके ऊपर से ट्रैक्टर ले जाते हुए रैली करेंगे और लेकिन रैली जरूर होगी. अब यही किसान नेता कह रहे हैं की, “6 महीने से अधिक समय तक लंबा संघर्ष और दिल्ली की सीमाओं पर 60 दिनों से अधिक का विरोध प्रदर्शन भी इस स्थिति का कारण बना. हम अपने आप को ऐसे सभी तत्वों से अलग करते हैं, जिन्होंने हमारे अनुशासन का उल्लंघन किया है.”
हिंसक सिखो को सन्देश देते हुए शांति की अपील करने साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा ने लिखा है की, “हम परेड के मार्ग और मानदंडों पर दृढ़ता से चलने के लिए सभी से अपील करते हैं और किसी भी हिंसक कार्रवाई या राष्ट्रीय प्रतीकों और गरिमा को प्रभावित करने वाली किसी भी चीज़ में लिप्त नहीं हो. हम सभी से अपील करते हैं कि वे ऐसे किसी भी कृत्य से दूर रहें.”