आज सिखों ने शायद यह साबित कर दिया की इंदिरा गाँधी सही थी, उनपर तरह-तरह के जोक्स क्यों बनाये जाते थे. लेकिन दिल्ली में गणतंत्र दिवस के मौके पर एक ऐसा हादसा भी हुआ है जिसके बाद देशवासियों के मन में सिखों के प्रति सम्मान ही ख़त्म हो जाएगा.
सिख किसान प्रदर्शनकारियों ने सभी मर्यादा लांघते हुए दिल्ली पुलिस की एक महिला कांस्टेबल को घेर लिया. उसके बाद वह उसे मारते हुए कौने में ले गए और उसके साथ दुर्व्यवहार भी किया. दिल्ली पुलिस के जवानों ने किसानों को रैली करने के लिए जो रूट दिए थे वह उन्होंने नहीं माने, इसके इलावा किसानों को हथियार ले जाने से मना किया था वह उसे भी नहीं माने.
पुलिस बार-बार कहती रही की यह किसान प्रदर्शन शांतिपूर्वक होना चाहिए, लेकिन सिखों ने दिल्ली में तांडव मचा दिया. दिलशाद गार्डन में ड्यूटी के दौरान ही एक पुलिस वाला बेहोश हो गया उसे हॉस्पिटल पहुँचाया गया. एक पुलिस वाले का एक सिख ने तलवार मारकर हाथ काट डाला.
दिल्ली के ITO सेंटर में तो बसों को जबरदस्त नुक्सान पहुँचाया गया हैं. खालसा झंडों के साथ हजारों की तादार में सिख लालकिले को घेरते हुए उस जगह अपना झंडा फहराने में कामयाब हुए जहाँ नरेंद्र मोदी ने सुबह झंडा फहराया था. पुलिस बार बार सिखों के अपील करती रही की शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखें.
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पुलिस की इस अपील को नज़रअंदाज़ करते हुए बहुत जगहों पर सार्वजनिक जगहों पर तोड़फोड़ को अंजाम दिया गया. ध्यान रहे की खालिस्तानी संगठन सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ) ने लगभग दो हफ्ते पहले ही ऐलान किया था कि जो भी दिल्ली के लाल किला पर खालिस्तानी झंडा फहराएगा, उसे 2.5 लाख डॉलर (1.83 करोड़ रुपए) का इनाम दिया जाएगा. जिसका मतलब साफ़ है की, डॉलरों के लालच में सिखों ने अपना ईमान और धर्म दोनों की मर्यादा को आज मिट्टी में मिला दिया.