दिल्ली के बॉर्डर पर किसान कृषि कानूनों के खिलाफ धरना प्रदर्शन दे रहें हैं. भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के कई नेता और यहां तक की सुरक्षा एजेंसियां और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा भी कहा जा चूका था की किसान आंदोलन (Kisan Protest) में खालिस्तानी घुसे हुए हैं. लेकिन जब तक कांग्रेस के सांसदों की इस भीड़ द्वारा दौड़ा-दौड़ा कर पिटाई नहीं हुई तब तक इन कांग्रेस नेताओं और उनके समर्थक यह मानने को तैयार नहीं थे की इस भीड़ में खालिस्तानी घुसे हुए हैं.
मामला उस समय का हैं जब कल पंजाब (Punjab) से कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू (Ravneet Singh Bittu) सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए पहुंचे थे. किसान कांग्रेस सांसदों को अपने आंदोलन में शामिल नहीं होने देना चाहते थे, उन्होंने गाडी पर ही हमला बोल दिया. इसके बावजूद जब जबरदस्ती वह किसान आंदोलन का हिस्सा बनने के लिए आगे आये तो कुछ किसानों ने उन्हें पीटना शुरू कर दिया.
उन्हें दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया यहां तक की उनकी पगड़ी भी उतार कर फेंक दी गयी. किसान नेताओं का कहना हैं की हम इस आंदोलन को यहां तक अपने दम पर लेकर आये हैं. जब यह आंदोलन ख़त्म होने के पास हैं तो अलग अलग राजनैतिक पार्टियां इस आंदोलन को अपने नाम करवाना चाहती हैं, यानी इस आंदोलन के नतीजे का श्रेय लेना चाहती हैं.
सूत्रों की माने तो अप्रैल के महीने के आस-पास जब पंजाब में फसल कटाई का समय होगा उससे ठीक पहले एक राजनितिक पार्टी का ऐलान करते हुए किसान आंदोलन ख़त्म कर दिया जाएगा. यह सब उस समय मुमकिन होगा जब यह आंदोलन किसी दूसरी राजनितिक पार्टी का हिस्सा न बने. इसकी शुरुआत दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के साथ शुरू होगी, जहां यह किसान प्रदर्शन कर अपनी एकता और ताकत का शक्ति प्रदर्शन करेंगे.
दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने भी इन्हें शांतिपूर्वक रैली करने का आदेश दे दिया हैं. अगर सब कुछ सही रहता हैं तो किसान नेता पंजाब चुनाव 2022 (Punjab Election 2022) के लिए राजनितिक पार्टी का ऐलान कर देंगे. लेकिन यह देखना काफी दिलचस्प होगा की क्या खालिस्तानी समर्थक (Pro-Khalistani) इस रैली को शांतिपूर्वक रहने देंगे?