शुक्रवार (जनवरी 22, 2021) को किसान नेताओं ने एक प्रेस कांफ्रेंस बुलवाई, इस प्रेस कांफ्रेंस में एक नकाबपोश लड़के को पेश किया गया. बताया गया की यह लड़का पैसे लेकर 4 किसान नेताओं को मारने के लिए रैली में शामिल हुआ था. लड़के का नाम योगेश सिंह (Yogesh Singh) हैं और अब योगेश सिंह का कहना है की मैं कोई शार्प शूटर (Sharp Shooter) नहीं हूँ.
योगेश सिंह ने कहा की मुझसे जबरदस्ती बुलवाया गया था की मैं पैसे लेकर हत्या करने आया हूँ. योगेश सिंह ने कहा की मेरी माँ लोगों के घर बर्तन धोने का काम करती हैं और मेरे पिता भी लोगों के घर खाना बनाने का काम करते हैं. योगेश ने कहा की मैं सोनीपत (Sonipat) का रहने वाला एक मामूली इंसान हूँ न की कोई शार्प शूटर.
उसने कहा की मुझे पहले मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया था, उसके बाद मुझे कहा गया था की प्रेस के सामने मुझे यह बयान देना हैं. अगर मैंने ऐसा न किया तो आंदोलन के बीच में मार कर दफना दिया जाऊंगा और किसी को पता भी नहीं चलेगा. मैंने अपनी जान बचाने के लिए यह बयान दिया था. अगर आप योगेश का बयान ध्यान से देखें होंगे तो आपको पता चलेगा की वह भूल जाता है की उसे क्या बोलना हैं, फिर राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) उसके बयान को पूरा करते हैं.
इसी से पता चलता है की यह पूरा मामला स्क्रिप्टेड था, योगेश सिंह ने कहा की दरअसल कुछ सिख किसान लड़के प्रदर्शन करने आयी लड़कियों को परेशान कर रहे थे. मैंने उनकी शिकायत करने का सोचा और एक व्यक्ति को उनके बारे में बताया. उसके बाद उन्होंने मुझे एक दूसरे व्यक्ति के पास लेकर गए जहाँ मुझे ही पीटा गया, उनका कहना था की मैं किसान आंदोलन को बदनाम करने आया हूँ. जिसके बाद उन्होंने मेरे सामने शर्त रखी की अगर मैं यह बयान दूँ तो मुझे छोड़ दिया जाएगा नहीं तो यह भीड़ मुझे मार देगी.
जिसके बाद मैं इतना डर चूका था की मैंने बयान देना सही समझा, योगेश सिंह की गवाही देते हुए एक व्यक्ति और मिला. उसने कहा की मैंने इस लड़के को पीटते हुए देखा था. लेकिन कुछ देर बाद लड़के इसे कहा ले गए मुझे नहीं पता. जिसके बाद यह सीधा हमें टीवी पर देखने को मिला.
योगेश सिंह ने बताया की इस मामले का हिस्सा हरियाणा पुलिस थाने के एक प्रदीप नाम का अधिकारी भी हैं. वो भी दिल्ली पुलिस (Delhi Police) को बदनाम करने के लिए मुझ पर यह सब कहने का दबाव डालता रहा, आप जानकार हैरान होंगे की योगेश को कस्टडी प्रेस कांफ्रेंस के बाद किसान नेता दिल्ली पुलिस को नहीं सौंपना चाहते थे, वह उसे जाने देना चाहते थे. सवाल यह बनता है की क्यों? क्या उनको डर था की योगेश उनकी सच्चाई बोल देगा, खैर बोल तो उसने अब भी दिया.