जब से ओवैसी ने बिहार में चुनावी समीकरण बिगाड़े हैं, तब से ही वह अलग ही तरह की राजनीती कर रहें हैं. 70 साल से जिन पार्टियों ने मुस्लिम तुष्टिकरण किया, सेकुलरिज्म की आढ़ में हिन्दुवों से ज्यादा अल्पसंख्यकों को के लिए सरकारी योजनाए लाती रही. अब क्योंकि मुस्लिम संख्या काफी राज्यों और इलाकों में बहुल हो चुकी हैं, इसलिए अब स्थानीय नेता और लोग अपनी मुस्लिम पार्टी चाहते हैं.
यही कारण है की अब आज़म खान (Azam Khan) भी उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का सपना लिए, ओवैसी की पार्टी में शामिल होना चाहता हैं. जी हाँ, उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के विधानसभा चुनाव से पहले आज़म खान को ओवैसी मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर खड़ा कर सकते हैं. यह कयास इस लिए भी सही ठहराए जा रहें हैं क्यों खुद ओवैसी ने कहा था की मैं 2022 विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी को मजबूत करूँगा.
इसके इलावा समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का उत्तर प्रदेश में वापसी का अभी कोई आसार नज़र नहीं आ रहे, योगी सरकार ने जिस प्रकार उत्तर प्रदेश में गुंडों का सफाया किया है और उत्तर प्रदेश की भयमुक्त और विकास के रस्ते पर चलाना शुरू किया उस काम से उत्तर प्रदेश की जनता काफी खुश हैं.
उत्तर प्रदेश की राजनीती का समीकरण देखें तो दलित वोट मायावती, यादव वोट समाजवादी पार्टी और मुस्लिम वोट ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (All India Majlis-e-Ittehadul Muslimeen) के पास गए तो बीजेपी आराम से इस चुनाव में जीत दर्ज़ कर लेगी. अगर इतिहास की बात करें तो, आज़ादी से पहले सभी मुस्लिम नेता सेकुलरिज्म के चलते कांग्रेस पार्टी (Congress Party) का हिस्सा हुआ करते थे, जैसे ही जिन्नाह ने मुस्लिम लीग (Muslim League) का गठन किया कांग्रेस से इस्तीफ़ा देते हुए तमाम मुस्लिम नेता जिन्नाह की पार्टी में शामिल हो गए और आज इतिहास मानो खुद को दोहरा रहा हैं.
13 जनवरी 2021 को उत्तर प्रदेश पहुंचे असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने बयान दिया था की, “अखिलेश सरकार के शासन (2012 से 2017 तक) के दौरान मुझे 12 बार यूपी में प्रवेश करने से रोका गया और 28 अवसरों पर उनके आगमन को अनुमति देने से इनकार कर दिया गया. मैं यहां आ पाया हूं क्योंकि मुझे अनुमति दी गई. एआईएमआईएम कुल सीटों में से लगभग 25 प्रतिशत सीटों पर चुनाव लड़ेगी, मतलब यूपी की 403 विधानसभा सीटों में से AIMIM लगभग 100 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े करेगी.”
राजनितिक पंडितों का कहना है की अगर चुनाव नतीजे किसी भी पार्टी को न मिले और बीजेपी (BJP) के खिलाफ अगर सरकार बनाने योजना बनाई गयी तो ओवैसी अपनी पार्टी का मुख्यमंत्री बनाने को लेकर अड़ जाएंगे, ऐसे में राज्य में गैर-बीजेपी दलों के पास इस बात को स्वीकार करने के इलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा, बिलकुल वैसे ही जैसे महाराष्ट्र (Maharashtra) में बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिए शिवसेना (Shivsena) का मुख्यमंत्री बनाना पड़ा था.