सरकार के द्वारा लाए गए नए कानूनों को सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी लेकिन उसके बावजूद भी किसान मानने को तैयार नहीं! ऐसे में अब किसानों की नौटंकी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपना लिया है! दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने किसानों को राहत देने के लिए कमेटी बनाई थी तो किसानों ने उस कमेटी के सदस्यों की पुरानी बातों को लेकर कहा कि कमेटी पक्ष पाती है और अब इसको बदला जाए!
जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट भी भड़क उठा है इस पूरे मामले को लेकर CJI ने यहां तक कह दिया कि कमेटी नहीं बदलेगी मत बदल सकते हैं इसलिए किसान बेतुकी बयानबाजी ना करें! संसद के द्वारा पारित किए गए कानूनों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट को लगा कि यह मामला गंभीर होता जा रहा है तो सुप्रीम कोर्ट ने इन तीनों कानूनों पर लगाते हुए एक चार सदस्य कमेटी बनाई थी! इसके बाद किसानों ने कमेटी के सदस्यों के प्रति नकारात्मकता रूप दिखाकर अराजकता का एक और सबूत दे दिया! इसके साथ पूरे प्रकरण में किसानों की नियत का पर्दाफाश हो गया! किसान कमेटी के सदस्यों की मांग करते हुए वर्तमान कमेटी के लोगों को पक्षपाती बता रहे है, जिस पर अब सुप्रीम कोर्ट काफी भड़क गया है!
दरअसल देश की सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान कुछ किसान संगठनों ने कहा कि कमेटी के सदस्यों के पहले ही इन कानूनों पर सकारात्मक विचार है! भारतीय किसान यूनियन की ओर से कहा गया कि इन व्यक्तियों को सदस्य के रूप में गठित करके न्याय के सिद्धांत का भी उल्लंघन होने वाला है सुप्रीम कोर्ट के द्वारा नियुक्त सदस्य किसानों को सामान मापदंडों पर कैसे सुनेंगे जब उन्होंने पहले से ही इन तीनों कानूनों का समर्थन किया हुआ है!
अब इसको लेकर अपनी सख्त प्रतिक्रिया देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने किसानों को लताड़ लगाई है और कहा है कि कमेटी के सदस्य की किसी मुद्दे पर अपनी राय हो सकती है लेकिन वह इस कमेटी के बनने के उद्देश्य को प्रभावित नहीं कर सकती हैं! ऐसे में CJI का कहना है कि हमने समिति में विशेषज्ञों को नियुक्त किया है क्योंकि हम विशेषज्ञ नहीं हैं! आप समिति में किसी पर संध्या कर रहे हैं क्योंकि उसने किसी कानूनों पर विचार व्यक्त किए हैं?
उनका कहना है कि पैनल फैसला सुनाने का अधिकार नहीं है तो इसमें पक्षपात कहां से आ गया वह कृषि क्षेत्र के प्रतिभाशाली दिमाग वाले लोग हैं आप उनका नाम कैसे मलिन कर सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया है कि कमेटी के सदस्यों की के अपने कुछ विचार भी हो सकते हैं और यह हर व्यक्ति के होते हैं परंतु इसका यह मतलब कतई नहीं है कि वह व्यक्ति किसी भी जांच या विश्लेषण को प्रभावित करेगा!
देश के सर्वोच्च न्यायालय ने साफ कर दिया है कि कमेटी तो नहीं बदलेगी लेकिन उनके सदस्यों के विचार अवश्य बदल सकते हैं सुप्रीम कोर्ट की ओर से टिप्पणी किसानों के लिए एक बड़ा झटका है क्योंकि वह कमेटी के सदस्यों की पुरानी बयानों का हवाला देकर बातचीत से बचने की कोशिश कर रहे हैं और अराजकता का विस्तार देने की फिराक में थे!