वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) जो की केरल की सत्ताधारी सरकार हैं, उन्होंने केरल में रहने वाले हिन्दुवों के लिए नया फरमान जारी किया हैं. इस फरमान के जरिये मंदिरों में लाउडस्पीकर पर ‘लगभग’ प्रतिबंध लगा दिया गया हैं. इसका मुख्य कारण क्या मुसलमानों की बढ़ती आबादी और बड़ी हुई आबादी के साथ उनकी आहत होती हुई धार्मिक भावनाएं.
सोशल मीडिया पर जैसे ही यह खबर आयी लोगों ने इसका भरपूर विरोध दर्ज़ कराना शुरू कर दिया. आपको बता दें की यह पूरा मामला तब शुरू हुआ जब नए साल की 7 जनवरी को ही केरल देवस्वोम बोर्ड ने मंदिरों को लेकर फरमान जारी करते हुए कहा की मंदिरों में बजने वाला लाऊड स्पीकर की आवाज़ 55 डेसिबेल की ध्वनि से निचे रखी जाए.
आपको बता दें की 55 डेसिबेल की ध्वनि की आवाज़ एक खाली कमरे में दो लोगों के आपस में बातचीत करने जितनी ऊँची होती हैं. अगर यह फरमान केरल की वामपंथी सरकार चर्च और मस्जिद के लिए एक साथ निकालती तो बात अलग थी. लेकिन उन्होंने केवल मंदिरों के लिए यह फरमान लाया हैं, तो क्या मस्जिद और चर्च से निकलने वाली आवाज़ ध्वनि प्रदूषण नहीं करती?
केरल में सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) पहले ही कई मामलों में अपना हिन्दू विरोधी चेहरा पेश कर चुकी हैं. यही कारण हैं की अब लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर फुट रहा हैं. सोशल मीडिया पर एक ट्विटर यूजर लिखते हैं की, “सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट नियंत्रित केरल हिंदू मंदिरों में लाउड स्पीकरों पर प्रतिबंध लगा दिया गया. केवल हिंदू मंदिरों में! हिन्दू?”
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कुछ लोग केरल सरकार के इस फैसले को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर से से भी सवाल जवाब कर रहें हैं, लोग उनसे भी इस मामले पर प्रतिक्रिया लेना चाहते हैं. दरअसल शशि थरूर केरल के तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस के सांसद भी हैं, केरल बड़े बड़े और विशाल मंदिरों के लिए जाना जाता हैं और आज उसी केरल में इस तरह का फरमान आना वो भी सिर्फ मंदिरों पर तो, जनता के मन में सरकार की मंशा को लेकर सवाल तो उत्पन्न होंगे ही.