जो बाइडेन जल्द ही अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले हैं और इसी के साथ डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) का कार्यकाल भी ख़त्म हो जाएगा. डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत को चीन के खिलाफ महत ही मजबूत तरीके से खड़ा किया, इसके साथ ही वह इस्लामिक आतंकवाद और पाकिस्तान (Pakistan) के खिलाफ भी खुलकर विरोध करते नज़र आते थे.
कश्मीर में धारा 370 और CAA को भारत का आंतरिक मामला बताते हुए इसपर टिप्पणी के लिए मना कर देते थे. इसके इलावा चीन (China) के खिलाफ हिन्द महासागर में भी अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करवाते थे. लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प के साथ दिक्कत यह थी की वह इस्लामिक कन्ट्रीज पर एक के बाद एक प्रतिबन्ध लगा रहे थे.
इसका नुक्सान भारत को तब देखने को मिला जब इराक़ पर प्रतिबन्ध लगने की वजह से भारत की इराक (Iraq) में सबसे बड़ी परियोजना चाबहार बंदरगाह (Chabahar Port) की डील ही खतरे में आ गयी थी. इराक के साथ भारत ने पेट्रोल ट्रेड करने के लिए चावल का उपयोग करना शुरू करने की डील कर ली थी.
यानी भारत इराक़ को चावल देता और चावल के बदले वह भारत को पेट्रोल देता जिससे भारत को डॉलर पर निर्भर नहीं रहना पड़ता. लेकिन अमेरिका द्वारा इराक पर लगाया प्रतिबन्ध भारत की इस डील के लिए मुश्किल कड़ी कर गया. इसलिए कुछ लोग जो बाइडेन (Joe Biden) को भारत के लिए अच्छा मान रहे थे, उनका कहना था की भारत अब ऐसी स्थिति में हैं जिस वजह से जो बाइडेन भारत के साथ रिश्ते नहीं बिगाड़ना चाहेंगे.
लेकिन जो बाइडेन ने अपने शपथ समारोह में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री आसिफ अली जरदारी (Asif Ali Zardari) और उनके बेटे बिलावल भुट्टो जरदारी (Bilawal Bhutto Zardari) को बुलाया हैं. बराक ओबामा के समय में जो बाइडेन उप-राष्ट्रपति हुआ करते थे और उस समय अमेरिका भारत से ज्यादा पाकिस्तान के साथ अपने रिश्ते सुधारने में लगा हुआ था.
ऐसे में अब जो बाइडेन का यह न्यौता इसी बात को दर्शा रहा हैं की अमेरिका दुबारा पाकिस्तान से अपने रिश्ते मजबूत करने का प्रयास करेगा, क्योंकि भारत के किसी भी मंत्री को अभी तक शपथ समारोह में नहीं बुलाया गया. ऐसे में वह लोग जो कह रहे थे की जो बाइडेन भारत के लिए ज्यादा अच्छे साबित होंगे दरअसल वह लोग फिलहाल अभी तक तो गलत ही साबित होते हुए नज़र आ रहें हैं.