जब से केंद्र और उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में बीजेपी (BJP) की सरकार बनी हैं, उसके बाद से देश के विभिन्न मंदिरों को लेकर प्रचार शुरू हुआ हैं. जिस वजह से लोग अब ताजमहल (Taj Mahal) को छोड़ उन मंदिरों और सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की मूर्ति देखने के लिए ज्यादा उत्सुक नज़र आते हैं. इसी के साथ देश और दुनिया में फैली महामारी के चलते प्रयटकों का आंकड़ा और ज्यादा गिर गया.
दुनिया का आठवां अजूबा कहे जाने वाले ताजमहल में प्रयटकों की बात करें तो 2019 के मुकाबले 2020 में 76 फीसदी गिरावट देखने को मिली हैं. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (Archaeological Survey of India) के सुपरिटेंडेंट वसंत स्वर्णकार (Vasant Swarnkar) ने एक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है की, “ताज महल देखने आने वाले पर्यटकों की संख्या तेजी से कम हुई है. साल 2019 की तुलना में पिछले साल 2020 में यहां आए पर्यटकों की संख्या 76 प्रतिशत तक कम हो गई.”
महामारी की वजह से देश और विदेश की सभी उड़ाने बंद थी, विदेश से भारत आने वाले लोग भी ताज महल को देखने के लिए उत्सुक नज़र आते थे. लेकिन अब उनकी दिलचस्पी दुनिया की सबसे उन्ही मूर्ति सरदार वल्लभ भाई पटेल की (स्टेचू ऑफ़ यूनिटी) देखने में नज़र आती हैं.
ताजमहल को लेकर कई राज़ है और यह राज़ ताजमहल के बंद दरवाजों के पीछे छुपे हुए हैं, जिन्हें कोई भी सरकार खुलवाना नहीं चाहती. लेकिन अगर माजूदा लिखे इतिहास की माने तो ताज महल को मुगल बादशाह शाहजहां (Shahjahan) ने अपनी पत्नी मुमताज महल (Mumtaz Mahal) की याद में बनवाया था. मुमताज महल अपने 14 वे बच्चे को जन्म देने के दौरान 17 जून 1631 में मर गयी थी.
Compared to 2019, tourists' footfall fell by 76% at Taj Mahal in 2020: Vasant Kumar Swarnkar, Superintendent, Archaeological Survey of India (ASI), Agra (16.1) pic.twitter.com/corPGCRJqN
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 17, 2021
महज़ 38 साल की उम्र में 14 बच्चों को जन्म देने वाली मुमताज़ महल हवस का शिकार थी या प्रेम का यह तो खैर इतिहास लिखने वाले ही जाने. फिर भी ताजमहल को प्रेम की निशानी के तौर पर याद किया जाता है और इसके पीछे एक मुख्य कारन रहा है की 70 साल से देश की सरकारों ने ताजमहल के इलावा किसी दूसरे पर्यटक स्थल (Tourist Spot) पर इतना महत्व ही नहीं दिया.