26 जनवरी से पहले 19 जनवरी को किसानों और भारत सरकार के बीच बातचीत होने वाली हैं. जैसा की पहले होता हैं यह बातचीत भी विफल ही नज़र आ रही हैं. इसका मुख्य कारण हैं जी 26 जनवरी को बड़े हंगामे की तैयारी. जी हाँ, अगर किसान नेताओं को लगता हैं की, 19 जनवरी के दौरान कुछ हल निकल सकता हैं तो वह ट्रेक्टर रैली के लिए इतनी तैयारी क्यों कर रहें हैं.
ट्रेक्टर रैली को लेकर जो तैयारी चल रही हैं उससे यह तो साफ़ नज़र आ रहा हैं की उनका मकसद शांतिपूर्वक रैली निकालने का नहीं हैं. ट्रैक्टर्स को टैंक्स की तरह सुरक्षा घेरे में बनाया जा रहा हैं, यानी ट्रेक्टर पर बैठने वाली जगह को इतना कवर किया गया हैं की अगर ट्रेक्टर चलाने वाला किसी प्रकार की घटना को अंजाम देता हैं तो पुलिस की गोली के इलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा, क्योंकि ट्रेक्टर को जिस प्रकार से बनाया गया हैं उसमें लाठी तो बिलकुल भी नहीं लग सकती.
कुछ ट्रैक्टर्स को मॉडिफाइड करके जैक लगा दिए गए हैं जिससे अगर सरकार सुरक्षा के लिहाज़ से बड़े बड़े सीमेंट के ब्लॉक रखते हैं तो किसान उन ब्लॉक्स को हटाते हुए आगे बढ़ते जाएंगे. किसान आंदोलन में बार-बार कहा जा रहा हैं की संसद के अंदर सुना हैं काफी सुख सुविधाएँ मजूद हैं, जिससे यह तो साफ़ हैं की यह किसान आंदोलन के नाम पर अगर दिल्ली में गए तो संसद के अंदर घुसने की कोशिश जरूर होगी.
युद्ध की तरह तैयारी की जा रही हैं जिसमें सबसे आगे 120 हार्स पावर से 180 हार्स पावर ट्रेक्टर होंगे जो सीमेंट या बेरिकेट्स के ब्लॉक्स को दूर करते जाएंगे, उसके पीछे जो ट्रेक्टर होंगे वह 55 हॉर्स पावर के नार्मल ट्रेक्टर होंगे. पता चला हैं की किसान अपनी बहन बेटियों और माताओं को भी ट्रेक्टर चलना सीखा रहें हैं, हो सकता हैं की सबसे आगे इन्हें ही रखा जाये जिससे पुलिस को कार्यवाही के लिए 100 बार सोचना पड़े, ठीक वैसे ही जैसे शाहीन बाग़ में मुस्लिम औरतों को रखा गया था.
इसके इलावा बताया जा रहा हैं की खालिस्तानी ग्रुप ने 2.5 लाख डॉलर इनाम देने की घोषणा की हैं जो भी इंसान लाल किले में खालिस्तान का झंडा फहराएगा. यानी अगर यह दिल्ली में गए तो लाल किले के अंदर भी घुसने की कोशिश की जाएगी. ऐसे में यह तो साफ़ हैं की ट्रेक्टर रैली का मुख्य मकसद अभी हालहीं में हुए अमेरिकन दंगों को दोहराना हैं, जिसमें प्रदर्शनकारी संसद भवन के अंदर पहुँच गए थे.