रविश कुमार (Ravish Kumar) खुद को ब्रह्माण्ड का सबसे बड़ा निष्पक्ष पत्रकार बताते हैं, जबकि उनकी पत्रकारिता पर कई बार सवाल खड़े हो चुके हैं. जैसे CAA दंगों के दौरान उन्होंने सलमान को मिश्रा बता दिया था और अगर जांच उसी के हिसाब से चली होती तो रविश कुमार की वजह से एक निर्दोष बलि का बकरा बन जाता.
अब एक बार फिर से 14 जनवरी 2021, रवीश कुमार के प्राइम टाइम (Prime Time) में सरकार द्वारा जारी किये गए किसानों से खरीद के आंकड़ों को गलत बता दिया. ऐसी कमरे में बैठकर आंकड़ों को गलत बताना भले ही आसान हो लेकिन सरकार ने तुरंत ही इसपर सफाई पेश की और सबूतों के साथ बताया की हमारे आंकड़े सही हैं, रविश कुमार गलत हैं.
बाद में रविश कुमार को भी अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने लोगों से माफ़ी मांगी. दरअसल पियूष गोयल (Piyush Goyal) उन नेताओं में से एक हैं जो कृषि आंदोलन के नेताओं से लगातार बातचीत कर रहें हैं. इसलिए उन्होंने इसपर एक इन्फोग्राफिक पोस्ट किया जिसके बाद रविश कुमार ने उसे फ़र्ज़ी बता दिया.
रविश कुमार ने 14 जनवरी के प्राइम टाइम में कहा की, “ग्राफिक में दिया गया डेटा गलत है. ये इन्फोग्राफिक, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने 11 जनवरी 2021 को पोस्ट किया था. इसमें जानकारी दी गई थी कि 10 जनवरी तक भारत सरकार ने 534 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की थी, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 423LMT थी.”
जबकि पियूष गोयल ने इस इन्फोग्राफिक की जानकारी देते हुए लिखा था की, “किसान हितों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए प्रयासों से 10 जनवरी तक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 26% अधिक धान MSP मूल्य पर खरीदा गया, जिसकी मात्रा 534 LMT है. 1 लाख करोड़ रुपए से भी अधिक के भुगतान से 71 लाख किसान लाभान्वित हुए. किसान हित में MSP है, और रहेगा.”
Ravish Kumar should display Disclaimer before his every Prime Time that “The News Shown in this segment is a Work of Fiction and Malafide propaganda.” pic.twitter.com/tuEb83Ln6T
— Political Kida (@PoliticalKida) January 16, 2021
वैसे तो भारत में ढेरों फैक्ट चैकर्स (Fact Check) हैं लेकिन उनका काम केवल एक तरफा फैक्ट चेक करने का हैं. राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) से लेकर तमाम नेताओं और पत्रकार ऐसे हैं जो भ्रामक न्यूज़ फैलाते हैं जैसे NDTV की निधि जिसने कहा मुझे हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी (Harvard University) में नौकरी मिल गयी है, किसी भी वामपंथी संस्था ने उसे फैक्ट चेक नहीं किया. बल्कि कुछ महीनों बाद वाहवाही लूटने के बाद उसने बताया की मेरा अपॉइंटमेंट लेटर फ़र्ज़ी था. तो सवाल यह है की क्या फैक्ट चेक भी अब पार्टी और व्यक्ति देखकर ही हुआ करेगा?