रणदीप सुरजेवाला का ऐलान SC की समिति से नहीं निकलेगा समाधान

किसान आंदोलन (Kisan Protest) एक बिल पर को लेकर हो रहा है जिस बिल को लाने का वादा 2017 में पंजाब विधानसभा से पहले आम आदमी पार्टी ने अपने मेनिफेस्टो में किया था और 2019 लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में किया था. किसान संघठनो (Kisan Union) की लगभग दशकों पुरानी मांग जब मोदी सरकार (Modi Goverment) ने पूरी की तो किसान संघठन इसके विरोध में खड़े हो गए.

अपनी राजनीती की तलाश करने वाले यह किसान नेता अब उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) द्वारा गठित की गई समिति के चारों सदस्यों को किसान बिल के हितैषी बता रहें हैं. कांग्रेस पार्टी (Congress Party) के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला (Randeep Surjewala) ने बयान देते हुए कहा है की, “जब समिति के चारों सदस्य पहले से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और खेत-खलिहान को बेचने की उनकी साजिश के साथ खड़े हैं तो फिर ऐसी समिति किसानों के साथ कैसे न्याय करेगी?”

किसानों को राजनीती बयान से भड़काने का प्रयास करने वाले रणदीप सुजरेवाला सुप्रीम कोर्ट के फैसले के प्रति किसानों में निराशा उत्पन्न करते हुए नज़र आये, उन्होंने कहा की, “उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को जब सरकार को फटकार लगाई तो उम्मीद पैदा हुई कि किसानों के साथ न्याय होगा, लेकिन इस समिति को देखकर ऐसी कोई उम्मीद नहीं जगती.”

यह बयानबाज़ी उस समय आनी शुरू हुई जब उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली सीमा पर धरना दे रहे किसानों और सरकार के बीच मध्यस्ता के लिए एक 4 सदस्यी टीम का गठन किया. उच्चतम न्यायालय को उम्मीद है की यह चार सदस्यी टीम सरकार और किसानों के बीच मध्यस्ता करवा कर आंदोलन ख़त्म करवा देगी. लेकिन जो किसान नेता इस आंदोलन में अपनी राजनीती तलाश रहें हैं वो इस आंदोलन को शांतिपूर्वक आखिरी कैसे ख़त्म होने दे सकते हैं?

आपको बता दें की इस समिति के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय किसान यूनियन (Bhartiya Kisan Union) के अध्यक्ष भूपिन्दर सिंह मान (Bhupinder Singh Mann), शेतकारी संगठन (Shetkari Union) के अध्यक्ष अनिल घनवट (Anil Ghanwat), दक्षिण एशिया के अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति एवं अनुसंधान संस्थान (International Food Policy and Research Institute of South Asia) के निदेशक डॉ प्रमोद जोशी (Dr. Pramod Joshi) और कृषि अर्थशास्त्री (Agricultural Economist) अशोक गुलाटी (Ashok Gulati) को चुना हैं.

एक तरफ राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) जैसे लोग कह रहे हैं की इस किसान बिल के साथ कोई भी किसान यूनियन समर्थन में नहीं हैं. दूसरी तरफ दो किसान यूनियन के सदस्यों को लेकर कह रहें हैं की यह तो बिल के समर्थक हैं यह कैसे हमारी मांगों को मानेंगे? जिस राकेश टिकैत को बहुत बड़े नेता के रूप में दिखाया जा रहा है असल में उस राकेश टिकैत को चुनाव में मात्र 9000 वोट के आस पास ही प्राप्त हुए थे.

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