नए कृषि कानूनों को लेकर विपक्ष और वामपंथी नेताओं के फैलाये भ्रमों को दूर करने का प्रयास किया हैं. रिलायंस ने आधिकारिक बयान देते हुए कहा है की हम कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग न तो करते है और न ही आने वाले कई सालों तक करने की कोई योजना हैं. दरअसल रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की एक दूसरी कंपनी रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड के पक्ष में पंजाब में टावरों को लेकर पहुंचाए जाने वाले नुक्सान के चलते हाई-कोर्ट में अपील की थी.
पंजाब में हालात ऐसे हैं की फ़र्ज़ी किसान रिलायंस के जरूरी कम्युनिकेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर, सेल्स और सर्विसेज आउटलेट्स पर हमला कर उन्हें नुक्सान पहुंचा रहें हैं. वीडियो में साफ़ तौर पर देखा जा सकता हैं की नुक्सान पहुँचाने वाले कौन हैं इसके बावजूद पंजाब पुलिस उन लोगों पर कार्यवाही नहीं कर रही.
किसान आंदोलन की आढ़ में देश के उद्योपतियों को नुक्सान पहुँचाया जा रहा हैं, जिससे उद्योगपतियों का तो नुक्सान बहुत कम होगा लेकिन जो लड़के/लड़कियां मॉल, शोरूम, जिओ सेंटर आदि में काम करते हैं उनकी नौकरी खतरे में आ चुकी हैं. कंपनी को जिस जगह नुक्सान होगा वह वहां पर अपना काम बंद कर देगी और दूसरी जगह शिफ्ट कर देगी लेकिन क्या उस जगह से लोग दूसरी जगह काम करेंगे? जवाब हैं नहीं.
रिलायंस रिटेल की बात करें तो इसमें अनाज, फल, सब्जियों समेत रोजाना इस्तेमाल होने वाले कई उत्पाद शामिल जरूर हैं लेकिन रिलायंस का कहना है की यह सभी सामान हम उत्पाद स्वतंत्र मैन्युफैक्चरर्स और सप्लायर्स से खरीदते हैं न की किसानों से.
दरअसल भारत में अमेज़न अपनी रिटेल चेन को मजबूत करना चाहता हैं, जिस वजह से वह फ्यूचर ग्रुप को भी खरीदना चाहता हैं. रिलायंस रिटेल एक ऐसी कंपनी है जो अमेज़न और भारतीय बाज़ार के बीच दीवार बनकर खड़ी हुई हैं. ऐसे में रिलायंस का होने वाला दुष्प्रचार दिखाता है की कहीं न कहीं यह पूरा मामला अंतराष्ट्रीय हैं. किसान महज़ एक मोहरे है, जिन्हे गलत सुचना के आधार पर भड़काया जा रहा हैं.