कांग्रेस के हर्ष मंदर का NGO के दो चिल्ड्रेन होम बना बच्चों के शोषण का अड्डा

सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज (CES) द्वारा स्थापित किये गए उम्मीद अमन घर (लड़कों के लिए) और खुशी रेनबो होम (लड़कियों के लिए) नामक दक्षिणी दिल्ली के दो चिल्ड्रेन होम बच्चों के शोषण का अड्डा बने हुए नज़र आ रहें हैं. बताया जा रहा है की, नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (NCPCR) ने दोनों चिल्ड्रन होम को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के उल्लंघन का दोषी पाया हैं.

इन दोनों चिल्ड्रन होम के निदेशक यूपीए के जमाने में सोनिया गाँधी की नेशनल एडवाइजरी काउंसिल (NAC) में रहने वाले हर्ष मंदर हैं. NCPCR के अध्यक्ष की अगुवाई में एक टीम ने दोनों ही चिल्ड्रन होम का निरिक्षण किया था. अपनी रिपोर्ट में उन्होंने बताया है की हमें वहां पर बच्चों के शोषण के सबूत मिले हैं.

संचालन अमन बिरादरी ट्रस्ट द्वारा चलाये जाने वाला उम्मीद अमन घर (लड़कों के लिए) में उनको बच्चों के साथ होने वाले योन शोषण के पर्याप्त सबूत मिले हैं. एनसीपीसीआर के एक अधिकारी ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया की 2012 में भी हमने ऐसी ही एक रिपोर्ट मिली थी लेकिन उस समय UPA की सरकार होने के चलते मामले को रफा-दफा करवा दिया गया था.

एनसीपीसीआर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है की दोनों चिल्ड्रन होम ही कई मानदंड और नियमों का पालन नहीं कर रहें. हम आगे की जांच के लिए एक टीम का गठन करने जा रहें हैं. जिससे दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही हो सके. उन्होंने कहा काम चिल्ड्रन होम में काम करने वालों का कोई रिकॉर्ड ही नहीं था.

अपराध की स्थिति में आप किसे और कहां से पकड़ेंगे? इसके इलावा चिकित्सा अधिकारी का नंबर तक दोनों ही चिल्ड्रन होम के अधिकारीयों के पास नहीं था. उन्होंने कहां की बड़े बच्चों के साथ ही छोटे बच्चों को रखा गया है, जिस वजह से छोटे बच्चे शोषण, दुर्व्यवहार और धमकी का शिकार हो रहें हैं.

उन्होंने कहां की जिस मैनेजर के खिलाफ 2012 में योन शोषण का आरोप लगा था, उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने की बजाए उसे महज़ संगठन के एक घर से दूसरे स्थान पर कार्यभार सँभालने के लिए भेज दिया गया. लड़कियों के चिल्ड्रन होम की बात करें तो 90 लड़कियों के लिए महज़ 8 बाथरूम बने हुए हैं, जिसमे सफाई का भी ध्यान नहीं रखा जाता.

स्टाफ की भर्ती का कोई रिकॉर्ड नहीं हैं, यानी वह कौन हैं, उनका एड्रेस क्या हैं, कहीं वो अपराधी तो नहीं इस बात का कोई ध्यान नहीं रखा गया. 90 लड़कियों के लिए केवल एक बाल कल्याण अधिकारी मजूद था और इसके इलावा चिल्ड्रन होम में पढ़ाई के लिए किसी प्रकार की कोई व्यवस्था भी नहीं थी.

वहीं चंदे की बात करें तो उम्मीद अमन घर ने वित्त वर्ष 2020-21 में सिर्फ ARUN-India से 15 लाख रुपए लिए है और इसे RFI से 41 लाख रुपए भी मिले हैं. दूसरी तरफ खुशी रेनबो होम को RFI से 38 लाख रुपए मिले लेकिन इस धनराशि का उपयोग कही से भी चिल्ड्रन होम इस्तेमाल होते हुए नज़र नहीं आया.

About dp

Check Also

3GB प्रतिदिन डाटा के साथ यह रिलायंस जिओ के कुछ सस्ते प्लान, पढ़ें पूरी खबर

नए साल के अवसर पर सभी टेलीकॉम कंपनियां अपने अपने ग्राहकों को लुभाने की कोशिश …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *