मामला अजीब जरूर है लेकिन उत्तर प्रदेश का है जहां बेकनगंज पुलिस टीम जब कानपुर के हिस्ट्रीशीटर रेहान उर्फ गुड्डू को गिरफ्तार करने के लिए उसके घर पहुंची तो मोहल्ले के लोग रेहान उर्फ गुड्डू के लिए पुलिस वालों से भीड़ गए. रेहान डी-80 गैंग का सरगना हैं और पुलिस वालों को अपनी जान बचाने के लिए वहां से भागना पड़ा.
यह पूरा मामला कानपुर के कर्नलगंज क्षेत्र के गम्मू खाँ के हाते का है. बताया जा रहा है की पुलिस को सुचना मिली थी की हिस्ट्रीशीटर रेहान उर्फ गुड्डू अपने घर आया हुआ हैं. जब पुलिस वाले उसे और उसके भाइयों समेत कुल 10 लोगों की तलाश में गिरफ्तार करने के लिए उसके मौहल्ले में पहुंचे तो यह बवाल हुआ.
पुलिस वालों का कहना है की घरों की छतों से हमपर पत्थर फेंकने शुरू कर दिए थे. उसके साथ ही मौहल्ले की महिलाएं अपने कपडे फाड़कर हमारे सामने खड़ी हो गयी थी. जिस वजह से अपनी जान और इज्जत बचाने के लिए हमें वहां से भागना पड़ा. इस दौरान महिला पुलिस कर्मी हमारे साथ नहीं थी ऐसे में कानूनी तौर पर हम महिलाओं का सामना नहीं कर सकते थे.
लेकिन जब इस बवाल की सुचना आस पास के थाना क्षेत्र में पड़ी तो कई थानों की फोर्स मौके और महिला पुलिस कर्मी मौके पर आ पहुंचे. लेकिन इस समय के दौरान किसी तरीके से हिस्ट्रीशीटर अपने भाइयों के साथ रफूचक्कर हो चूका था और पुलिस के हाथ से यह मौका निकल गया.
कर्नलगंज सीओ दिनेश कुमार शुक्ला ने मीडिया को इस बारे में पूरी जानकारी देते हुए बताया की, “दारोगा की तहरीर पर आरोपितों के खिलाफ बलवा, सरकारी कार्य में बाधा डालने, मारपीट करने आदि धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है. जल्द ही आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा.”
लेकिन सवाल यह उठता है की क्या पुलिस छोटे और बड़े गुंडे के बीच का फर्क नहीं समझती? पिछले कुछ हफ्तों की बात है जब विकास दुबे नाम के हिस्ट्रीशीटर को कानपुर के चौबेपुर के बिकरू गाँव में दबिश के दौरान उसने और उसके साथियों ने 8 पुलिस वालों को शहीद कर दिया था. ऐसे में उत्तर प्रदेश पुलिस को सीख लेते हुए बड़े और छोटे गुंडों को चिन्हित करना चाहिए और दबिश के दौरान उसी हिसाब से पुलिस बल भेजनी चाहिए.