2 March 2020 वह दिन था जब दिल्ली में कोरोना का पहला मामला सामने आया था. इस मामले के आने के कुछ दिन बाद ही मोदी जी ने पुरे देश में सम्पूर्ण लॉक डाउन की घोषणा कर दी थी. इसके कुछ दिन बाद 1 April 2020 दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने अखबारों में बड़े बड़े विज्ञापन देकर ऐलान किया था की अगर ड्यूटी के दौरान कोरोना वॉरियर्स का देहांत होता है तो राज्य सरकार शहीद होने वाले व्यक्ति के परिवार को 1 करोड़ रूपए का मुआवजा देगी.
इस ऐलान के बाद अरविन्द केजरीवाल के नाम अख़बारों, मीडिया और सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया था. लेकिन क्या अरविन्द केजरीवाल का यह ऐलान जमीनी स्तर पर काम आया? यह सवाल तो किसी ने पूछा ही नहीं. तो जवाब है नहीं और यह बात खुद शहीदों के परिवार वालों ने कही हैं.
दिल्ली में 15 पुलिस वाले अपनी ड्यूटी के दौरान कोरोना का शिकार होने के बाद शहीद हो गए. शहीद शब्द का इसलिए प्रयोग किया जा रहा है क्योंकि वह चाहते तो अपने घर में रह सकते थे. लेकिन समाज की रक्षा और कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए वह इस बिमारी की चपेट में आये इसलिए उनके शहीद कहा जाना ही सही होगा.
अगर बात करें अरविन्द केजरीवाल के मुआवजे के ऐलान की तो 15 में से 12 पुलिसकर्मियों के परिजनों के दावों को दिसंबर 2020 में राज्य सरकार की तरफ से किसी प्रकार के मुआवजे के ना मिलने की बात कही हैं. राज्य में कुल 31 पुलिस वाले कोरोना काल में शहीद हुए. जिनमे से 15 पुलिस वाले कोरोना ड्यूटी के दौरान शहीद हुए. इनमे से महज़ 3 परिवारों की ही अर्जी लंबित हैं यानी एक करोड़ का मुआवजा मिलेगा या नहीं यह अभी तय नहीं हुआ.
मई 2020 के दौरान दिल्ली पुलिस के उस हवलदार अमित कुमार का नाम याद है? जो उत्तर पश्चिमी दिल्ली में ड्यूटी के दौरान कोरोना का शिकार हो गए थे और शहीद हो गए थे? बाद में जब उनकी पत्नी क्वारंटाइन में थी तो उसे पता चला की वह माँ बनाने वाली हैं? उस अमित कुमार की अर्जी को केजरीवाल साहब ने कैंसिल कर दिया और कारण बताते हुए सरकार ने कहा की, “मृतक रोज़मर्रा (रेगुलर) की ड्यूटी कर रहा था न कि कोविड 19 ड्यूटी जो कि 1 करोड़ रुपए का आर्थिक सहयोग प्राप्त करने के लिए सबसे अनिवार्य पैमाना है.”