आम आदमी पार्टी से निकाले जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट से भी अपनी बेज्जती करवाने वाले प्रशांत भूषण शायद विवादों से अपना नाता ख़त्म नहीं करना चाहते. यही कारण है की उन्होंने कुछ दिन पहले खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में कट्टरपंथी मुसलमानों द्वारा हिन्दू मंदिर को तोड़े जाने की तुलना मस्जिद पर भगवा लहराने से कर डाली.
वामपंथी और मुस्लिम कट्टरपंथी इस घटना पर आपत्ति जता रहें हैं की आखिर मस्जिद पर भगवा क्यों लहराया गया. लेकिन इसके पीछे की कहानी यह है की, श्रीरामजन्मभूमि परिसर के पुनर्निर्माण के लिए राज्य भर में सनातनी संगठन चन्दा इकट्ठा करने के लिए घर-घर जाने की योजना बना रहें हैं.
ऐसे में जब यह काफिला इंदौर और उज्जैन में इस्लामिक बहुल इलाकों से गुजरे, इन पर कट्टरपंथी मुसलमानों ने पत्थरों से हमला कर दिया. मध्य प्रदेश सरकार ने तुरंत मामले पर संज्ञान लेते हुए दोषी मुसलमानों पर रासुका लगाई और क्योंकि यह पूरा इलावा अवैत निर्माण से बना था इसलिए उन्होंने पुरे इलाके में ही बुलडोज़र चलवा दिए.
ऐसे ही एक काफिला मध्यप्रदेश से ही गुजर रहा था तब एक मस्जिद की छत से कुछ कट्टरवादियों ने पत्थर फेंकने शुरू कर दिए. ऐसे में हिन्दू संगठनों की भीड़ ने मस्जिद में घुसकर बिना किसी मुस्लिम को चोट पहुंचाए, बिना मस्जिद में तोड़ फोड़ किये मस्जिद के ऊपर लगे इस्लामिक झंडे को गिराकर भगवा लहरा दिया.
इसके बावजूद पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज़ किया हैं. पत्थर फेंकने वालों पर भी और मस्जिद में भगवा लगराने वालों पर भी. ऐसे में अब प्रशांत भूषण आधी सचाई को मिर्च मसाला लगाकर देश में माहौल बिगाड़ना चाहते हैं. जैसे गुजरात में 2002 के दंगे प्रत्येक मुस्लिम और वामपंथी को याद हैं लेकिन यह दंगे हुए क्यों थे इस बारे में कोई जिक्र नहीं करना चाहता. उसकी प्रकार मस्जिद में भगवा लहराया गया इसका क्रोध हैं, लेकिन लहराया क्यों गया इसके बारे में कोई नहीं बोल रहा.
प्रशांत भूषण ने पाकिस्तान के मंदिर और भारत में मस्जिद की फोटो डालते हुए दोनों की तुलना करते हुए पाकिस्तान की सरकार, पाकिस्तान की पुलिस, पाकिस्तान की मीडिया और पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट को भारत से बेहतर बताने का प्रयास किया हैं.