जब से भारत में मोदी सरकार बनी हैं, तब से ही टुकड़े-टुकड़े गैंग के समर्थन में कई राजनीतिक पार्टियां सामने आ चुकी हैं. जैसे शिवसेना के उद्धव ठाकरे ने ब्यान देते हुए कहा था की अगर भविष्य में भी राज्य और केंद्र सरकार के बीच ऐसे ही तनाव बना रहा तो भारत भी रूस की तरह बिखर जायेगा.
इससे पहले CAA में नार्थ ईस्ट से भारत को अलग करने और अब किसान आंदोलन में खालिस्तान की मांग भारत तोड़ने की बात नहीं तो क्या हैं? ऐसे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने ब्यान देते हुए कहा है की, “अगर कोई हिन्दू है तब वह देशभक्त होगा और यह उसका बुनियादी चरित्र एवं प्रकृति है.”
उन्होंने अपनी इस बात का जिक्र महात्मा गाँधी के उस ब्यान से जोड़ा जिसमें महात्मा गाँधी ने कहा था की, “उनकी देशभक्ति की उत्पत्ति उनके धर्म से हुई है.” मोहन भागवत ने अपना यह ब्यान जे के बजाज और एम डी श्रीनिवास लिखित पुस्तक ‘मेकिंग आफ ए हिन्दू पैट्रियट : बैकग्राउंड आफ गांधीजी हिन्द स्वराज’ के लोकार्पण करने के दौरान दिया.
उन्होंने कहा की इस किताब का नाम पढ़कर कोई व्यक्ति सोच सकता है की इस किताब में महात्मा गाँधी जी को अपने विचारों के हिसाब से परिभाषित किया जा रहा है लेकिन उन्होंने कहा की, “महापुरुषों को कोई अपने हिसाब से परिभाषित नहीं कर सकता. यह किताब व्यापक शोध पर आधारित है और जिनका इससे विभिन्न मत है वह भी शोध कर लिख सकते हैं.”
मोहन भागवत ने देश में अलग-अलग धर्म और जातियों के सम्बन्ध में कहा की ऐसा नहीं है की हम अलग-अलग हैं तो क्या हम एक समाज, एक धरती के पुत्र बनकर नहीं रह सकते. उन्होंने कहा की अनेकता में एकता और एकता में अनेकता यही भारत की मूल सोच हैं.
मोहन भागवत कहते है की अगर कोई इंसान मूल रूप से हिन्दू है तो उसे देशभक्त होना ही होगा. वह सोया हो सकता है, जिसे समाज को उसे जगाने की जरूरत है लेकिन सोने का मतलब यह नहीं की वह देश विरोधी बयान दे. गाँधी जी ने भी कहा था मैं अपने धर्म को समझकर अच्छा देशभक्त बनूँगा और लोगों को भी ऐसा करने की सलाह दूंगा, क्योंकि मेरी देशभक्ति मेरे धर्म से ही निकलती हैं.