पंजाब का माहौल खराब करने के लिए फिर एक बार किसान आंदोलन के नाम पर भड़काऊ बयान दिए जा रहें हैं. शुरुआत में जो राजनेता आगे आकर इस आंदोलन को अपना बनाना चाहते थे, वह अब पीछे हो चुके हैं. राजनितिक पार्टियां अब आगे आकर इस आंदोलन को अपना नहीं बता रही बल्कि पीछे से समर्थन दे रही हैं.
वहीं खालिस्तानी और वामपंथी राजनेता इन मंचों का इस्तेमाल करते हुए, रैली में आये लोगों में गुस्सा भर रही हैं. 26 जनवरी पास आ रही हैं, गणतंत्र दिवस के मौके पर विदेशी मेहमान और विदेशी मीडिया भारत में मजूद होगी. ऐसे में उस समय हिंसा को भी अंजाम दिया जा सकता हैं. जैसे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के भारत आने पर CAA की हिंसा को दिया गया था.
लेकिन सोचने वाली बात यह हैं की क्या यह बिल इतने विरोध के लायक हैं? जवाब हैं नहीं, दरअसल मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की सितम्बर महीने में एक कोरोना को लेकर राज्य में एक रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट में महामारी से जुडी परेशानियों से छुटकारा पाने और खेतीबाड़ी से जुडी चुनौतियों और उनके समाधान का जिक्र किया गया हैं.
गौरतलब हैं की इस रिपोर्ट के पृष्ठ संख्या 334 में कृषि बदलावों का भी जिक्र किया गया था. तीनों बिलों के बारे में जानकारी देते हुए इसमें मार्केटिंग रिफॉर्म की जानकारी देते हुए एपीएमसी से परे बाजार खोलने की बातें की गयी हैं. यहाँ तक की इस रिपोर्ट में किसानों और किसान प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन के बीच कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का जिक्र किया गया था. रिपोर्ट में दो मुख्य बिंदु निम्नलिखित है:
1. APMC से परे कृषि विपणन को खोलना ताकि किसानों की उपज बेचने का स्कोप बढ़ सके.
2. उच्च मूल्य वाले फलों (जैसे प्लम, आड़ू, लीची, अमरूद आदि) और सब्जियों (आलू, मटर, मिर्च आदि) के बागों के तहत क्षेत्रों की डबलिंग करना.
ऐसे में सवाल फिर वही उठता हैं की अगर पंजाब की कांग्रेस इस बिल के फायदे पहले से जानती हैं, अगर कांग्रेस ने 2019 लोकसभा चुनाव के अपने मैनिफेस्टो में इन्हीं तीनों बिलों जिक्र किया था. यहां तक की आम आदमी पार्टी ने भी 2016 में 2017 के होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले अपने मैनिफेस्टो में इस बिल का जिक्र किया था.
This is the Covid response report of Punjab Govt. On page 334 the report says “opening up of agricultural marketing beyond APMCs to increase the scope of selling farmer produce.”
In September, Punjab Chief Secy said these reforms must be implemented. #FarmBills2020 pic.twitter.com/XYfN689Qth
— Marya Shakil (@maryashakil) December 25, 2020
फिर आज वह किसके इशारे पर किसानों को भड़का रहें हैं? किसके इशारे पर पंजाब के संगीतकार और कलाकार लोगों को बन्दूक और हथ्यार उठाने के लिए अपने गानों में प्रोत्साहित कर रहें हैं? आखिर ऐसा क्या हुआ की दिल्ली आने से पहले शिरोमणि अकाली दल, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी इसे अपनी भीड़ बता रही थी अचानक वह गायब हो गए. इस भीड़ को खालिस्तानी और वामपंथी नेताओं के हवाले करके.