प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने शुक्रवार यानी 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस पर ‘पीएम किसान सम्मान निधि’ योजना के ताकत 7वीं किश्त को जारी कर दिया गया. इस किश्त के जरिये किसानों सरकार किसानों के खातों में डायरेक्ट राशि 18,000 करोड़ रुपए से अधिक है और इसके माध्यम से 9 करोड़ किसानों को लाभ मिलेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा महज़ एक बटन दबाये जाने के बाद प्रत्येक किसान के खाते में 2000 रूपए की धनराशि जमा करवा दी गयी. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने डिजिटल माध्यम से 6 राज्यों के किसानों से संवाद भी किया. इसी संवाद के दौरान उन्होंने अरुणाचल प्रदेश के किसान गगन पेरिंग से बातचीत की जिसमें उस किसान ने कहा की मुझे इस साल मिलने वाली कुल 6000 रूपए की राशि से मैंने आर्गेनिक खाद और दवाइयां खरीदी.
उसके बाद गगन पेरिंग ने कहा की हमारे गाँव में 446 किसान जैविक अदरक उगाते हैं. इसपर प्रधानमंत्री ने सवाल पूछते हुए कहा की, “आप छोटे किसानों को प्राइवेट कंपनी के साथ जोड़ते हैं, क्या उन्होंने सिर्फ प्रोडक्ट खरीदे या अपकी जमीन भी ले ली?” इसपर पेरिंग ने ऐसा जवाब दिया की विपक्ष और विपक्ष के समर्थक किसानों को मुंह दिखाने के लायक नहीं रहे. पेरिंग ने कहा की, “हाल ही में एक कंपनी से उनका एग्रीमेंट हुआ, जितनी उपज है, उसे ही ले जाने की बात हुई, जमीन की नहीं.”
जबकि विपक्ष लगातार इस बिल के प्रति और यह सिर्फ पंजाब के किसानों में भ्रम फैलाया जा रहा है की अंबानी और अडानी आपकी जमीन ले लेंगे. जबकि कुछ दिन पहले गुजरात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक एक उदाहरण देते हुए कहा था की, देश में कई सालों से दूध बेचने वालों से मदर डेयरी, वेरका, अमूल जैसी कंपनियां दूध खरीदती हैं. क्या वह दूध के साथ गाय और भैंस पर अपना कब्ज़ा कर लेती हैं? यही कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग हैं, कंपनी आपसे केवल फसल खरीदेगी न की आपकी जमीन.
अब कुछ भ्रम फैलाये जा रहे है की फ्री में मिलने वाला पानी कंपनी 20 रूपए में बेच सकती है तो वह आटा या फिर अन्य अनाज कितने में बेचेगी. इसपर भी यह सोचने वाली बात है की क्या पुरे देश में लोग बोतल बंद पानी पीते है? सुविधा है जिसको लेना है ले नहीं लेना न ले. वैसे ही आशीर्वाद, पतंजलि, चक्की फ्रेश आदि कई कंपनीज अपना आटा बेचती आई हैं. फिर वहीं बात है की जिसको खरीदना है, वह खरीदे नहीं खरीदना न खरीदे.