खुल गया राज़, इस वजह से 1999 में वह एक वोट नहीं जुटा पाए थे अटल जी

भारतीय जनता पार्टी 1999 में महज़ एक वोट के चलते सरकार गिर जाने के पीछे तत्कालीन कांग्रेस सांसद गिरधर गमांग और नेशनल कांफ्रेंस के सैफुद्दीन सोज को मुख्य वजह मानती आई हैं. अब वाजपेयी: द ईयर्स दैट चेंज्ड इंडिया नाम की एक किताब में खुलासा किया गया हैं की, उस समय वाजपई की सरकार छोटी-छोटी पार्टियों के गठबंधन से बनी थी, ऐसे में अटल बिहारी वाजपई इन पार्टियों के साथ अपनी पार्टी का तालमेल बिठाने में नाकाम रहे थे.

यही कारण है की महज़ एक वोट के चलते अटल बिहारी वाजपई की सरकार 1999 में गिर गयी थी. वैसे कुछ लोगों का मानना है की सरकार गिराने के लिए भारतीय जनता पार्टी ही ही वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी का भी हाथ था. सुब्रमण्यम स्वामी उस समय वित् मंत्री बनना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता के साथ एक मुलाकात भी की थी.

इस मुलाकात के बाद जयललिता ने अपनी पार्टी का समर्थन देने के बदले सुब्रमण्यम स्वामी को वित् मंत्री बनाने की मांग रखी थी. सुब्रमण्यम स्वामी को वित् मंत्री नहीं बनाया गया और जयललिता ने अपना समर्थन नहीं दिया, कुछ लोग इस सरकार के गिरने का मायावती पर भी दोष लगाते हैं.

सच्चाई जो भी हो मुद्दा यही था की जिन पार्टियों के समर्थन से सरकार बन सकती थी, अटल बिहारी वाजपई उन पार्टियों के साथ तालमेल बिठाने में नाकाम रहे थे. वाजपेयी: द ईयर्स दैट चेंज्ड इंडिया नाम की किताब को खुद अटल बिहारी वाजपेयी जी के निजी सचिव शक्ति सिन्हा ने लिखा हैं. शक्ति सिन्हा प्राइम मिनिस्टर ऑफिस में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं.

शक्ति सिन्हा ने दावा किया की अरुणाचल कांग्रेस के वांगचा राजकुमार ने भी लोकसभा चुनाव से पहले ही NDA को समर्थन देने की बात की थी. जबकि अरुणाचल कांग्रेस के वांगचा राजकुमार की पार्टी आपसी फुट में बिखर चुकी थी, इसके बावजूद वह समर्थन देने को तैयार थे. लेकिन लोकसभा में जब वोटिंग का समय आया तो अटल जी को उनसे मुलाकात या फिर बात करना याद नहीं रहा और नाराज़ वांगचा राजकुमार ने भी सरकार के खिलाफ अपना मत किया.

उन्होंने कहा इस चुनाव में राम विलास पासवान, फारुख अब्दुल्ला और अन्य नेताओं से भी बातचीत असफल रही जिस वजह से यह सरकार गिर गयी. अगर वाजपेयी: द ईयर्स दैट चेंज्ड इंडिया नाम की किताब को आप पूरी तरह से पढ़ते है तो प्रत्येक पार्टी या फिर नेता जो पहले सरकार के साथ था और वोटिंग के समय सरकार के खिलाफ मतदान किया, उसका पूरा वर्णन किया गया हैं. जिसका अंत में नतीजा यही निकलता है की, इतनी ज्यादा छोटी-छोटी पार्टियों को साथ में लेकर सरकार बनाना वह भी सबकी मांगों को मानते हुए उस समय असंभव था.

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