इस वक़्त की बड़ी खबर यह है की कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल की मृत्यु के बाद खाली हुई राज्यसभा सीट बीजेपी के खाते में जा सकती हैं. 2017 में हुए चुनावों के दौरान कांग्रेस के अहमद पटेल ने बड़ी ही मुश्किल से यह सीट बचाई थी, जिसमें मामला विधायकों को होटल में किडनैप करने से लेकर कोर्ट तक गया था.
पिछले महीने कोरोना से बीमार होने के बाद एक निजी हॉस्पिटल में अहमद पटेल का 71 वर्ष की आयु में निधन हो गया था. राज्यसभा में उनका कार्यकाल 18 अगस्त 2023 तक का था और वह पांचवी बार राज्यसभा सीट जितने में कामयाब हुए थे. इसके इलावा बीजेपी के भी राज्यसभा के सदस्य का निधन हुआ हैं, उनका नाम अभय भारद्वाज था जिनका राज्यसभा में कार्यकाल 21 जून 2026 तक का था.
चुनाव आयोग दोनों ही सीटों पर अलग अलग चुनाव करवाना चाहता हैं और दोनों ही सीटों पर बीजेपी की जीत अभी तय मानी जा रही हैं. फिलहाल गुजरात में बीजेपी के 111 विधायक मजूद हैं और कांग्रेस के महज़ 65 विधायक ही मजूद हैं. चुनाव जीतने के लिए प्रत्याशी को 50 प्रतिशत यानी 88 वोटों की आवश्यता होती हैं.
पिछले साल अमित शाह और स्मृति ईरानी द्वारा खाली छोड़ी गयी राज्यसभा सीट पर भी बीजेपी के प्रत्याशी दुबारा जीतने में कामयाब रहे थे. 2019 के राज्यसभा चुनाव के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जीत दर्ज़ की थी. अहमद पटेल की बात करें तो वह देश के सामने पहली बार तब चर्चा में आये जब अरुण सिंह, अहमद पटेल और ऑस्कर फर्नांडिस को संसदीय सचिवों में स्थान मिला था.
इन तीनों को यह पद राजीव गाँधी ने दिया था, इससे पहले अहमद पटेल केवल गुजरात में ही जाने जाते थे. कई बार राष्ट्रीय घोटालों में उनका नाम आया, कई बार दंगों में उनका नाम आया. इन सबके बावजूद राजीव गाँधी के जाने के बाद सोनिया गाँधी के सबसे भरोसे वाले नेताओं की सूचि में अहमद पटेल का नाम सबसे ऊपर रहा था. इतने दिग्गज नेता होने के बावजूद गुजरात में मोदी सरकार बनने के बाद वह बीजेपी सरकार के लिए कभी चुनौती नहीं बन पाए.