कल अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक समारोह में शामिल होने जा रहें हैं. 1964 के बाद यह पहला मौका होगा जब भारत का कोई प्रधानमंत्री अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के किसी समारोह में शामिल होगा.
इसको लेकर अभी से ही इस्लामिक कट्टरवादी और वामपंथी हल्ला करना शुरू कर चुके हैं. इसी क्रम में इस्लामिक स्कॉलर अतीकुर रहमान ने आज तक की पत्रकार अंजना ओम कश्यप के प्राइम टाइम डिबेट शो, ‘हल्ला बोल’ में कहा की, “बीजेपी इसके जरिए अपनी विचारधारा यूनिवर्सिटी में ले जाने की कोशिश कर रही है. भारतीय जनता पार्टी, नरेंद्र मोदी और विद्वता का कोई तालमेल ही नहीं है.”
अतीकुर रहमान की इस बात पर बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा भड़क गए और उन्होंने जवाब देते हुए कहा की, “पाकिस्तान, बांग्लादेश तुर्की के नेता और प्रोफेसर यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में शामिल होते हैं, उनके साथ आपका इंटेलेक्चुअल तालमेल है मगर हिंदुस्तान की सबसे बड़ी पार्टी के साथ आपका कोई तालमेल नहीं है.”
संबित पात्रा की इस बात को बीच में काटते हुए अतीकुर रहमान चिलाने लगते हैं और इसी बीच फिर संबित पात्रा कहते हैं की, “अंजना जी ये डेमोक्रेसी की दुहाई देने वाले मेरे एक लाइन को टॉलरेट नहीं कर पाते, मैंने तो शांति से सुना आपको.” उसके बाद शो करवा रही अंजना ओम कश्यप ने अतीकुर रहमान को कहा की जब आपने सवाल पूछ ही लिया हैं तो कम से कम अब जवाब तो सुन लीजिये.
उसके बाद अतीकुर रहमान थोड़े शांत हुए और संबित पात्रा ने कहा की, “मैं सच बोलुंगा तो आप मुझे बोलने नहीं देंगे. मैं पूछ रहा हूं कि चलिए हम लोग तो मूर्ख हैं, आपका मानना है कि बीजेपी में बुद्धि नहीं है, बीजेपी और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में समन्वय नहीं है. मैं पूछता हूं पाकिस्तान, बांग्लादेश तुर्की का अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से क्या समन्वय है कि आप वहां के प्रोफेसर्स को बुलाते हैं. वहां के साथ आपका क्या संबंध है? आप जैसे लोगों ने ये जो इंटलेक्चुअल सेपरेटिज्म बना रखा है उससे करोड़ों मुसलमानों को पीड़ित होना पड़ रहा है.”
उसके बाद अतीकुर रहमान को कोई जवाब नहीं मिलता और वह चिलाने लगते हैं की बीजेपी इतिहास को बदलने की कोशिश कर रही हैं. ऐसे में सवाल तो यह भी बनता हैं की इन इस्लामिक स्कॉलर के पास ऐसा कौनसा पैरामीटर हैं जिससे यह लोग इस बात को निर्धारित करते हैं की, कौनसा नेता या शख्स इंटेलेक्चुअल तालमेल के तहत ठीक बैठता हैं. या फिर यह सिर्फ इस बात को देखते हैं की, सामने वाला गैर मुस्लिम हैं तो मतलब उसका इंटेलेक्चुअल तालमेल सही नहीं हैं.