किसान आंदोलन का जैसे जैसे समय बीत रहा है, तैसे-तैसे इसकी पोल खुलने लगी हैं. कुछ दिन पहले वीडियो वायरल हुए थे, जिसमे पत्रकार जब लोगों से आंदोलन के बारे में सवाल पूछता है तो वह किसान बिलों से जुड़े एक भी सवाल का जवाब नहीं दे पाते. ऐसे में अब तीन महिलाओं जिनके नाम वीनू, सुनीता और पप्पी हैं, उन्होंने ने भी एक बड़ा खुलासा किया हैं.
इन तीन महिलाओं का कहना है की एक व्यक्ति उन्हें फ्री में मिलने वाले सामान और पैसे का लालच देकर एक व्यक्ति बरेली के फरीदपुर से यूपीगेट तक उन्हें लेकर आया. यहां आने के बाद वह कहीं चला गया. अब न तो हमें पैसे मिल रहें हैं और न ही यहां फ्री सामान की व्यवस्था हैं.
दैनिक जागरण में छपी इस खबर के मुताबिक़ इन तीनों महिलाओं का कहना हैं की हमने अफ़सोस हैं हम फ्री के सामान और पैसे के लालच में यहां आ पहुंचे हैं. महिलाओं ने कहा की इससे अच्छा हम फरीदकोट में ही ठीक थे, वहां हमें सरकार की तरफ से राशन मिलता था, फैक्ट्री में काम पर जाते थे और रहने के लिए कमरा भी था.
महिलाओं ने कहा की जिस फ्री के सामान की वह व्यक्ति बात कर रहा था यहां पर ऐसा कुछ भी नहीं हैं. हमें पता चला है की पंजाब से आये प्रदर्शनकारियों को तमाम सुख सुविधाएँ दी जा रही हैं. जबकि हमारे पास तो किसी ने एक कंबल तक देना ठीक नहीं समझा. इतनी ठंड में न खाने का इंतजाम है और न ही रहने का, ऊपर से पैसे देने के समय वह व्यक्ति भी गायब हो गया हैं.
इससे यह तो साफ़ है की मीडिया इसीलिए महज़ सिंघु बॉर्डर पर ही बैठी हैं, जहां किसानों को तमाम तरह की सुख सुविधाएँ दी जा रही हैं. उन्हें घर की कमी महसूस तक नहीं होने दी जा रही, अन्य जगहों पर जितने भी प्रदर्शन चल रहें हैं वहां प्रदर्शन करने वालों की हालत ठण्ड की वजह से खराब हो रही हैं. लेकिन सवाल यह है की अगर सिंघु बॉर्डर के प्रदर्शन को भी इतना शाही न बनाया गया होता तो यह प्रदर्शन इतने समय तक चल पाता?