मोदी सरकार को अब धीरे-धीरे किसान संघठनो के नेताओं का साथ मिलना शुरू हो चूका हैं. पंजाब के किसान संघठन भी अब दो फाड़ हो चुके हैं, कुछ किसान संगठनों के नेताओं का कहना है की इस बिल में संशोधन होना चाहिए. वही उत्तर प्रदेश, केरला, तमिलनाडु, तेलंगाना, बिहार, हरियाणा के किसान संगठन और अब उत्तराखंड के किसान संगठनों ने इस बिल को रद्द न किये जाने की मांग की हैं.
केंद्र सरकार का दावा है की 10 राज्यों के किसान संगठनों ने कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से मुलाकात करते हुए. इस बिल में अपना विश्वास जाहिर किया हैं, उनका कहना है की किसी के दबाव में यह बिल रद्द न करें. यह बिल किसानों के लिए महज़ अन्य विकल्प खोलने जैसा हैं.
जिन किसानों को पिछले विकल्पों से लगाव है वह उन्हीं विकल्पों के जरिये अपनी फसल बेचते रहें और जिन किसानों को मंडी और MSP से ज्यादा में अपनी फसल बेचनी हैं वह इस विकल्प के माध्यम से अपनी फसल बेच सकते हैं. यह बैठक आल इंडिया किसान कोआर्डिनेशन कमेटी की अगुवाई में हुई जहां कृषि मंत्री के सामने बिल के समर्थन में मजूद किसान नेताओं ने अपने विचार प्रगट किये.
वहीं पंजाब की बात करें तो पंजाब की कांग्रेस सरकार गल्फ देशों को इन्हीं बिलों के फायदे बताते हुए कह रही है की अब किसानों से फसल खरीदना और फ़ूड प्रोसेस करना आसान हो गया हैं. इन कानूनों की मदद से आपको विचौलिये की जरूरत नहीं पड़ेगी. ऐसे में आप हमारे राज्य में आकर फ़ूड प्रॉसेसिंग प्लांट लगा सकते हैं.
यह खबर गल्फ न्यूज़ वेबसाइट पर प्रकासित हुई थी, आम आदमी पार्टी 2016 में पंजाब के विधानसभा चुनाव से पहले अपने मेनिफेस्टो में इस बिल का जिक्र कर चुकी हैं. 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी भी इस बिल को लाने का जिक्र कर रही थी. इस बिल के पास होने के बाद आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में भी इसे लागू कर दिया था. अब 2022 विधानसभा चुनावों को प्रभावित करने के लिए विपक्ष पंजाब के किसानों को इस बिल के खिलाफ भड़का रहा हैं जबकि पंजाब की सरकार ने यह बिल पंजाब में लागु भी नहीं किया.