एक वक़्त था जब नार्थ ईस्ट वामपंथ का गढ़ हुआ करता था, बीजेपी के लिए चुनाव लड़ना ही बहुत बड़ी बात हुआ करती थी. समय बदला और आज नार्थ ईस्ट में बीजेपी एक के बाद एक चुनाव में अपना परचम लहरा हैं. कांग्रेस देश के अन्य राज्यों की तरह नार्थ ईस्ट में भी सिमटती जा रही हैं.
यही कारण है की आज ने असम में तिवा स्वायत्त परिषद (टीएसी) का जब चुनावी नतीजा आया तो कांग्रेस 36 सीटों में से महज़ 1 सीट ही निकाल पाई. वहीं बीजेपी ने 33 सीटों पर जीत हासिल करके इतिहास रच डाला. आपको बता दें की तिवा स्वायत्त परिषद में मोरीगाँव (19 सीटें), नगाँव (10 सीटें), होजई (1 सीट) और कामरूप (मेट्रो) (6 सीटें) जिले शामिल हैं और सभी जगह महामारी से जुडी गाइडलाइन का पालन करते हुए 17 दिसंबर को चुनाव करवाए गए थे.
36 में से एक सीट तो बीजेपी पहले ही निर्विरोध जीत गयी थी, वह सीट जगरोड की थी. इस वजह से चुनाव केवल 35 सीटों पर हुए और बीजेपी ने 32 सीटों पर जीत हासिल कर ली जिसमे एक सीट जगरोड की मिला ले तो कुछ 33 सीटें बीजेपी की झोली में आ गिरी. वहीं बीजेपी के ही गठबंधन वाली पार्टी एजीपी के हिस्से में भी 2 सीट आयी.
बीजेपी 25-30 सीटें जीतने का अनुमान लगाकर चुनावी रैलियों में बार बार इस आंकड़े का जिक्र कर रही थी. लेकिन जब नतीजा आया तो पार्टी के अनुमान से भी ज्यादा पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया. नार्थ-ईस्ट के विकास के लिए बीजेपी का कुछ सालों तक सत्ता में बने रहना जरूरी भी हैं. इसकी एक मुख वजह यह है की पहली सरकारों ने नार्थ ईस्ट में किसी प्रकार का विकास कार्य नहीं करवाया. इसका एक मुख्य कारण चीन की नाराज़गी भी था, जबकि मोदी सरकार देश के साथ-साथ नार्थ ईस्ट में भी पुरे जोरो-शोरों से सभी परियोजनाओं को अमल में लाकर पूरा करने में लगी हुई हैं.
इस भारी भरकम जनादेश का धन्यवाद देते हुए बीजेपी के राष्ट्रिय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ट्वीट करते हुए लिखा की, “तिवा स्वायत्त परिषद चुनावों में बीजेपी को मिले इस जनादेश के लिए असम को धन्यवाद. असम एक उज्जवल भविष्य की दिशा में आगे बढ़ रहा है और लोग पीएम नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन पर अपना विश्वास बनाए हुए हैं. सर्बानंद सोनोवाल, हिमंत बिस्वा सरमा और असम भाजपा की टीम को बधाई.”