2021 में पश्चमी बंगाल में विधानसभा चुनाव होने जा रहें हैं ऐसे में भाजपा इन चुनावों को जीतने के लिए अपनी एडी चोटी का जोर लगा रही हैं. उसका मुख्य कारण हैं की बीजेपी पश्चमी बंगाल और बंगाल के बॉर्डर के बीच एक दीवार या फिर कह लीजिये फेंच खड़ी करना चाहती हैं.
राज्य की अनुमति के बिना यह संभव नहीं हैं, पिछले चुनावों में भीड़ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात का जिक्र किया था की अगर पश्चमी बंगाल और बांग्लादेश के बीच घुसपैठियों को रोकना हैं तो हमें वहां आधुनिक फेंच लगानी होगी. बीजेपी पश्चमी बंगाल में चुनाव हार गयी और ममता बनर्जी ने सेकुलरिज्म के चलते इसे कभी मंजूरी ही नहीं दी.
भारतीय जनता पार्टी इस वक़्त पूरी पावर में सत्ता पर काबिज़ हैं, उसे पता है की लोकतंत्र में ऐसे मौके बार-बार नहीं आते. इसीलिए देश की तमाम समस्याओं को वह अपने इसी कार्यकाल में भुगता देना चाहती हैं. जिसकी शुरुआत जम्मू कश्मीर से धारा 370 और 35A को हटाकर हुई थी.
बीजेपी पश्चमी बंगाल में चुनाव जीतने के लिए अब अपने केंद्रीय मंत्रियों और युवा सांसदों की फ़ौज को पश्चमी बंगाल में उतारने जा रही हैं. सबसे पहले 19 से 20 दिसंबर को देश के गृह मंत्री अमित शाह राज्य के दौरे पर जायेंगे. उनके बाद बीजेपी केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत, संजीव बालियान, प्रह्लाद पटेल, अर्जुन मुंडा और मनसुख मंडाविया को पश्चमी बंगाल के दौरे पर भेजेगी.
बीजेपी में इस बात को लेकर भी चर्चा है की उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री नरोत्तम मिश्रा को पश्चमी बंगाल के चुनावों की पूरी जिम्मेदारी सौंपी गयी हैं. इसके इलावा तृणमूल कांग्रेस से बड़े बड़े नेता भाजपा में आ रहे हैं जिसमें ममता बनर्जी का दाहिना हाथ माने जाने वाले शुभेंदु अधिकारी भी हैं.
विधायक पद से इस्तीफा देने वाले तृणमूल कांग्रेस के नेता शुभेंदु अधिकारी अमित शाह की मजूदगी में भारतीय जनता पार्टी में शामिल होंगे. तृणमूल कांग्रेस के गुंडों से बचाने के लिए शुभेंदु अधिकारी को Z+ Security भी मुहैया करवाई गयी हैं. उधर ओवैसी ने भी पश्चमी बंगाल में मुस्लिम वोट काटने का फैसला कर लिया हैं, जिस वजह से ममता बनर्जी की मुश्किलें और ज्यादा बढ़ती हुई नज़र आ रही हैं.