दिल्ली के बॉर्डर पंजाब के सिख संघठन और गिने-चुने किसान संघठन जिनका वर्चस्व पंजाब में ज्यादा हैं. उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा लाये गए तीन कृषि सुधार कानूनो के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ हैं. यह सब दिल्ली बॉर्डर पर अनिश्चितकाल के लिए धरने पर बैठे हुए हैं. सरकार किसान संगठनों के बीच फस गयी है क्योंकि जो किसान संघठन बिल से खुश हैं उनका कहना है की अगर बिल वापिस हुआ तो वह देश भर में आंदोलन शुरू कर देंगे.
वहीं जो अभी धरने पर बैठे है उनका कहना है की अगर सरकार ने बिल वापिस नहीं लिए तो वह धरने से नहीं उठेंगे. यही कारण है की सरकार बिलों में संशोधन करवाने की मांग से पूरी तरह तैयार हैं. इसी बीच देश के प्रधानमंत्री गुजरात के दौरे पर गए हुए थे, उन्होंने इस दौरे में कृषि सुधार कानूनो से जुड़े हुए तीन बिलों के प्रति विपक्ष द्वारा फैलाई भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास किया और गुजरात के सिखों से मुलाकात की.
राजनितिक पंडितों का कहना है की यह मुलाकात अपने आप में ख़ास थी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह मुलाकात कहीं न कहीं दर्शाती हैं की देश भर के सिख इस कानून के खिलाफ नहीं हैं. बल्कि सिर्फ पंजाब के ही सिखों को इस कानून के खिलाफ भड़काया गया हैं. इसके इलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी ने भी इन सिखों से मुलाकात की.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उदाहरण देते हुए कहा की मदर डेयरी, वेरका और अमूल जैसी कंपनियां कई सालों से गाय या भैंस पालने वाले किसानों दूध ले रही हैं. क्या कभी किसी ने सुना है की किसी कंपनी ने किसी व्यक्ति की भैंस या फिर गाय पर कब्ज़ा कर लिया हो.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा की देश के तमाम किसान संगठनों और विपक्षी दलों की कृषि सुधार कानूनों को लेकर मांग रही हैं. अब उनकी मांग जब पूरी कर दी गयी हैं तो विपक्ष इसमें भी अपनी राजनीती तलाश रहा हैं. सरकार किसानों के साथ हैं और उनकी आय दुगुनी करने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करके रहेगी.