किसान आंदोलन में 30 राजनीती पार्टियों का समर्थन, 40 से ज्यादा किसान यूनियन का समर्थन और साथ ही देश के तमाम NGO और वामपंथियों का समर्थन होने के बावजूद जब भारत बंद का ऐलान हुआ तो यह लोग जबरदस्ती दुकानों को बंद करवाते हुए नज़र आये. जिसका मतलब साफ़ था की लोग भारत बंद के समर्थन में नहीं थे.
अब इन्होने अपनी बात मनवाने के लिए भूख हड़ताल का ऐलान कर दिया हैं. इस भूख हड़ताल में आम आदमी पार्टी पंजाब में अपनी राजनीती चमकाने के लिए खुद ‘भूख हड़ताल’ में उतरने का फैसला कर चुकी हैं. इस आंदोलन की वजह से दिल्ली में रहने वाले लोगों के साथ साथ दिल्ली के आस-पास रहने वाले लोगों के लिए भी भारी समस्या पैदा हो गयी हैं.
क्योंकि वह एक राज्य से दूर राज्य का सफर नहीं कर पा रहे, लॉक-डाउन में पहले ही लोगों के रोज़गारों पर असर पड़ चूका हैं और अब यह आंदोलन उनकी आर्थिक हालात पर एक और चोट के सामान वार कर रहा हैं. इन सबको नज़र अंदाज़ करते हुए केजरीवाल की पार्टी इस किसान आंदोलन को अपना भरपूर समर्थन दे रही हैं.
यही कारण हैं की केजरीवाल ने अपने ट्वीटर पर एक ट्वीट करते हुए कहा है की, “मैं आम आदमी पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं और समर्थकों से अपील करता हूं कि वो भी किसानों की इन मांगों के समर्थन में उपवास रखें. ऐसे सभी लोग जो दिल से किसानों के साथ हैं पर अपनी व्यस्तता के कारण सिंघु बॉर्डर पर नहीं जा पाए, उनको अब मौका मिला है. वो भी एक दिन का उपवास जरूर रखें.”
उन्होंने अपने अगले ट्वीट में लिखा की, “सोमवार (14 दिसंबर) को दिल्ली में ITO पार्टी मुख्यालय पर पार्टी के पदाधिकारियों, विधायकों और पार्षदों द्वारा सुबह दस बजे से शाम पांच बजे तक किसानों के समर्थन में सामूहिक उपवास किया जाएगा. आम आदमी पार्टी किसानों की मांगों के समर्थन में पूरी तरह से किसानों के साथ खड़ी है.”
उधर आंदोलन को तेज़ करने के लिए राजनितिक पार्टियां पंजाब और हरियाणा के बाद राजस्थान और उत्तर प्रदेश के किसानों को भी दिल्ली बॉर्डर पर बैठाने की तैयारी में जुट गयी हैं. इनका मकसद दिल्ली के सभी हाइवे और सड़कों को ब्लॉक करके दिल्ली की जनता को कैद करना हैं. हैरानी की बात यह है की दिल्ली के मुख्यमंत्री अपने राज्य की जनता को कैद करने वालों के साथ खड़े दिखाई दे रहें हैं.