आज की ताज़ा खबर यह है की भारतीय किसान यूनियन (BKU) के भानु गुट के नेताओं में तकरार की खबरें सामने आने लगी हैं. 29 किसान नेताओं ने सरकार को कहा है की आपको यह बिल वापिस लेने की कोई जरूरत नहीं हैं. लेकिन इस दिक्कत यह आ खड़ी हुई है की प्रदेश अध्यक्ष योगेश प्रताप ने किसान नेता व संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह के सुझाव का विरोध करते हुए कहा है की जब तक सरकार बिल वापिस नहीं लेगी तब तक यह आंदोलन ख़त्म नहीं होगा.
देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भानु प्रताप सिंह और उनके साथियों के बीच किसान बिलों के प्रति फैली हुई भ्रांतियों को दूर किया था. इसके बाद नोएडा के सेक्टर-14ए का वो रास्ता शनिवार (दिसंबर 12, 2020) को खोल दिया गया, जिसपर पिछले 12 दिन से भानु गुट के नेता धरना दे रहे थे. लेकिन प्रदेश अध्यक्ष योगेश प्रताप अपने साथियों के साथ भानु प्रताप सिंह का विरोध करते हुए वहां दुबारा धरना देने पहुँच गए.
पंजाब में DIG (जेल) लखमिंदर सिंह जाखड़ जिन्हें कुछ हफ्ते पहले ही रिश्वत लेने के आरोप में सस्पेंड किया गया था. उन्होंने आज यह कहते हुए इस्तीफ़ा दे दिया की, “वो इन आंदोलन का हिस्सा बन कर दिल्ली जाकर इस लड़ाई का हिस्सा बनना चाहते हैं, क्योंकि वो एक ‘किसान के बेटे’ हैं.”
जब से मीडिया और खुफ़िआ एजेंसियों ने दावा किया है की किसान आंदोलन में खालिस्तानियों और कट्टर इस्लामियों की फंडिंग हो रही हैं तब से किसान आंदोलन को लोग दूसरे नज़रिये से देखना शुरू कर चुके हैं. यह आंदोलन, किसान आंदोलन से भटक कर अब CAA और NRC आंदोलन का दूसरा अध्याय बनने जा रहा हैं.
इसी की चिंता व्यक्त करते हुए भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत जो की पहले इन बिलों के समर्थन में हुआ करते थे. उन्होंने बयान देते हुए कहा है की, “ख़ुफ़िया एजेंसियों को उन्हें पकड़ना चाहिए. अगर प्रतिबंधित संगठनों के लोग उनके बीच घूम रहे हैं तो उन्हें जेल में डालना चाहिए. हमें ऐसा कोई नहीं मिला, अगर दिखेगा तो निकाल बाहर करेंगे.”