राजस्थान के बाद अब छत्तीसगढ़ में भी सियासी संकट गहरा गया हैं. जब से दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनी है तब से सरकार ने इतनी बार राज्य के विकास के लिए बैठक नहीं बुलाई होगी, जितनी बार आपसी समझौतों के लिए कांग्रेस को बैठकें बुलानी पड़ती हैं.
राजस्थान के पंचायत चुनाव में कांग्रेस ने अपनी ही गठबंधन वाली पार्टी का वर्चस्व ख़त्म करने के लिए BJP के साथ तालमेल बिठाते हुए BTP को हरवा दिया, BTP का कहना है की हम कांग्रेस के साथ अपना गठबंधन ख़त्म कर रहें हैं क्योंकि कांग्रेस ने हमारे प्रत्याशी को हराने के लिए BJP के साथ साठगांठ की थी.
अब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने कार्यकाल को लेकर बयान देते हुए सबको चौंका दिया. उन्होंने मीडिया को बयान देते हुए कहा की, “हाईकमान अभी बोलेंगे तो यहां खड़े खड़े आपसे बात करते करते इस्तीफा दे दूंगा. मुझे पद का मोह नहीं है. लेकिन मुझे जो जिम्मेदारी दी गई है मैं उसका निर्वाहन कर रहा हूं. इस तरह की गलतफहमी किसी को पैदा नहीं करनी चाहिए. यह प्रदेश हित में नहीं है.”
दरअसल मीडिया में और मंत्रियों में ढाई-ढाई साल के कार्यालय को बात चल रही थी. इस पुरे मामले पर पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने भी मीडिया के सामने बयान देते हुए कहा की, “कांग्रेस में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है. टीएस सिंहदेव ने कई बार कहा है कि मैं इस्तीफा दे दुूंगा, मोहन मरकाम कई बार नाराज हो चुके हैं. कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं होने की वजह से मुख्यमंत्री की तल्खी सामने आयी है. ढाई साल के फार्मूले को टीएस सिंह देव और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ही स्पष्ट कर सकते हैं लेकिन टीएस सिंहदेव के बयान से ऐसा लगता है कि दाल में कुछ काला है.”
कांग्रेस का दावा है की मुख्यमंत्री पद का लालच देकर बीजेपी राज्य में सरकार को अस्थिर करने का प्रयास करना चाहती हैं. वहीँ बीजेपी का कहना है की यह कांग्रेस का अंदरूनी मामला हैं, जिसमें सरकार बनने से पहले पार्टी ने अपने नेताओं से क्या वादे किये और वह अब पूरा न होने पर अगर नाराज़ हो रहे हैं तो इसमें हमार क्या कसूर हैं.