पिछले काफी समय से पश्चमी बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग उठ रही थी. लेकिन जाहिर है की मांग पार्टी कार्यकर्त्ता होने के नाते आपको जायज़ लगेग लेकिन कोर्ट में यह मांग टिक नहीं पाती. लेकिन अब जो पश्चमी बंगाल में हुआ है, उसने ममता बनर्जी की मुसीबतों को पहले से अधिक बढ़ा दिया हैं.
दुनिया की सबसे बड़ी लोकतान्त्रिक पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर जिस प्रकार से ममता बनर्जी की पार्टी के गुंडों ने हमला किया हैं. इस बात का हवाल देते हुए की बंगाल में हालात सही नहीं है और आने वाले वक़्त में चुनावों को प्रभावी किया जा सकता हैं. इसलिए बीजेपी के पास अब कोर्ट में रखने के लिए ठोस वजह आ चुकी हैं.
शायद यही कारण हैं की गृह मंत्रालय ने पश्चमी बंगाल के दो बड़े अधिकारीयों से रिपोर्ट मंगवाई हैं. उस रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की कार्यवाही होगी. यह रिपोर्ट बंगाल के DGP और उनके मुख्य सचिव तैयार करेंगे, अमित शाह ने कहा है की इस हमले के नतीजे गंभीर होंगे.
दरअसल चुनाव आने वाले हैं, अलग-अलग पार्टियों के अलग-अलग राजनेता चुनाव प्रचार के लिए पश्चमी बंगाल में होंगे. ऐसे में अगर उन नेताओं पर पेट्रोल बम या फिर पथराव के जरिये हमला होता है तो लोकतंत्र की व्यवस्था के लिए यह कहाँ तक सही हैं? आपको बता दें की पिछले दिनों बीजेपी के युवा नेता और सांसद तेजस्वी सूर्या की रैली में भी क्रूड बमों का इस्तेमाल हुआ था.
अमित शाह के ट्वीट से राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के कयास लगाए जा रहें हैं क्योंकि उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है की, “आज बंगाल में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जे पी नड्डा जी के ऊपर हुआ हमला बहुत ही निंदनीय है, उसकी जितनी भी निंदा की जाये वो कम है. केंद्र सरकार इस हमले को पूरी गंभीरता से ले रही है. बंगाल सरकार को इस प्रायोजित हिंसा के लिए प्रदेश की शांतिप्रिय जनता को जवाब देना होगा.”