राहुल गाँधी पर की गयी टिप्पणी के बाद शिवसेना, कॉन्ग्रेस और एनसीपी के गठबंधन की महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार में खतरे के बदल मंडराने लगे हैं. कांग्रेस ने धमकी भरे अंदाज़ में शनिवार (दिसंबर 5, 2020) को सत्तारूढ़ शिवसेना की अगुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार को गिराने की बात कही हैं.
कांग्रेस का कहना है की महाराष्ट्र में अगर आप स्थिर सरकार चाहते हैं तो कांग्रेस के नेर्तत्व पर सवाल उठाने बंद करने होंगे. यह पूरा विवाद तब पैदा हुआ जब बराक ओबामा की किताब में राहुल गाँधी के जिक्र को लेकर शरद पवाद ने सही ठहराते हुए कहा था की, “राहुल गाँधी में राजनीतिक स्थिरता की कमी है.”
इससे पहले शरद पवार ने कांग्रेस को चीन के मसले पर भी खरी-खोटी सुनाते हुए कहा था की देश की सुरक्षा के मुद्दे पर राजनेताओं को राजनीती करने से बचना चाहिए. इसी को देखते हुए कांग्रेस की प्रदेश कार्यवाहक अध्यक्ष यशोमति ठाकुर ने शरद पवार के बयान पर पलटवार करते हुए अपनी नाराज़गी जाहिर की हैं.
यशोमति ठाकुर ने बयान देते हुए कहा है की, “महाराष्ट्र कांग्रेस कमेटी का कार्यकारी अध्यक्ष होने के नाते, मैं महाविकास अघाड़ी में सहयोगियों से अपील करना चाहती हूँ कि यदि आप महाराष्ट्र में स्थिर सरकार चाहते हैं तो कांग्रेस के नेतृत्व पर टिप्पणी करना छोड़ दें. हर किसी को गठबंधन के बुनियादी नियमों का पालन करना चाहिए. हमारा नेतृत्व बहुत मजबूत और स्थिर है. गठबंधन का गठन लोकतांत्रिक मूल्यों में हमारी मजबूत धारणा का परिणाम है.”
यशोमति ठाकुर की इस धमकी को लेकर एनसीपी और शिवसेना ने यह कहते होते खारिज कर दिया की जिस राज्य में 3 पार्टियों के गठबंधन से सरकार बनी हो. उस राज्य में आप स्थिर सरकार की कल्पना भी नहीं कर सकते. जिसका सन्देश साफ़ है की शिवसेना और एनसीपी को पता है की कांग्रेस पहले ही कई राज्य गवा चुकी हैं, ऐसे में वह एक देश की ‘आर्थिक राजधानी’ महाराष्ट्र को गंवाना नहीं चाहेगी.
फिर भी अगर सरकार गिरती है तो 2024 में एक बार फिर बिना प्रधानमंत्री के चेहरे के हमें विपक्ष चुनाव लड़ता दिखाई देगा. यही नहीं, राहुल गाँधी को ठुकराते हुए हर पार्टी का नेता अपनी पार्टी के अध्यक्ष को भावी प्रधानमंत्री बताता नज़र आएगा, जैसा की हमने 2019 लोकसभा चुनावों में देखा था.