शाहीन बाग में मजूद दादी बिल्किस बानो को लेकर लोगों में भ्रम है की वह किसान आंदोलन में भी शामिल हैं. तस्वीरों में देखने में भले ही दोनों एक ही लगे लेकिन अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी. ऐसे में बॉलीवुड की चर्चित अदाकारा ने सोशल मीडिया पर यह लिखते हुए विवाद खड़ा कर दिया की, “100 रूपए में उपलब्ध हैं शाहीन बाग वाली दादी बिल्किस बानो.”
बाद में उन्होंने यह ट्वीट डिलीट कर दिया, क्योंकि साफ़ जाहिर था की तस्वीर भले ही एक इंसान की लग रही हो लेकिन पुष्टि अभी तक नहीं हुई थी. ऐसे में ट्वीट डिलीट तो किया लेकिन वह वायरल हो चूका था और यही कारण हैं की, कंगना अब एक और कानूनी पचड़े में फँस चुकी हैं.
इससे पहले कंगना ने कहा था की भारत के किसान आंदोलन को पाकिस्तानी मीडिया और PR एजेंसी ने अंतराष्ट्रीय स्तर पर गलत तरीके से उठाया हैं. हमें भारतीय पत्रकारों और PR एजेंसियों का एक समूह तैयार करना चाहिए जो भारतीय मुद्दों को खुद अंतराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाए.
अगर बात करें बिल्किस बानो की तो 1 दिसंबर को वह किसान आंदोलन का हिस्सा बनना जरूर चाहती थी लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया था. जो तस्वीर पीली चुनरी ओढ़े हुए दादी की दिखाई जा रही हैं, पुलिस का कहना है की वह वो दादी नहीं हैं. क्योंकि हमने उन्हें आंदोलन का हिस्सा बनने नहीं दिया.
बिल्किस बानो की बात करें तो वह खुद को ‘किसान की बेटी’ बताते हुए किसान आंदोलन का हिस्सा बनाना चाहती हैं. वहीं पुलिस का कहना है की यह प्रदर्शन आगे क्या मोड़ ले सकता है कुछ कह नहीं सकते, इसलिए बिल्किस बानो को साउथ ईस्ट दिल्ली स्थित उनके आवास पर हमने सही सलामत पहुंचा दिया हैं.
केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में लाए गए कृषि सुधार कानूनों में वह सभी लोग जुटना शुरू हो चुके हैं, जिन्हें आप लोगों ने शाहीन बाग में देखा था. जो पंजाब के किसान इस बिल का विरोध कर रहें हैं, उस पंजाब में कांग्रेस सरकार पहले ही इस बिल को खारिज कर चुके हैं. ऐसे में हैरानी की बात हैं की जब आपके राज्य में बिल लागु ही नहीं हुआ, तब आप किस वजह से दिल्ली में धरना देने आये हैं वह भी 6 महीने का राशन लेकर.