26/11 का हमला कांग्रेस की हिन्दुवों के खिलाफ रची गयी वो साजिश और नाकामी हैं. जिसके बारे में जितनी चर्चा की जाये उतनी कम हैं, लेकिन यह बात हर कोई जानता है की कांग्रेस इस हमले को लेकर हिन्दू आतंकवाद की साजिश रचने को तैयार थी. हालाँकि इस हमले में शहीद हुए तुकाराम ओम्बले ने हिन्दुवों के माथे पर यह कलंक लगने नहीं दिया.
26/11 हमले में शहीद हुए तुकाराम ओम्बले ने अपने सीने पर गोलियां खाते हुए कसाब को जिन्दा पकड़वाने में मदद की. अगर वह जिन्दा न पकड़ा जाता तो दिग्विजय सिंह जैसे नेता हिन्दू आतंकवाद जैसे शब्द को साबित करने के लिए किताब का विमोचन करने को पहले से ही तैयार बैठे थे. यह किताब तो कसाब के जिन्दा पकडे जाने के बाद भी आयी लेकिन तब तक पूरा देश और दुनिया जान चुके थे की इस हमले के पीछे मुस्लिम आतंकवादियों का हाथ हैं.
हर साल 26/11 के मौके पर देश भर में न्यूज़ और सोशल मीडिया में इस घटना के ऊपर चर्चा होती हैं. ऐसे में कांग्रेस ने इस साल इस चर्चा से बचने के लिए किसानों का सहारा लिया. कई हफ़्तों से शांतिपूर्वक तरीके से चल रहे किसान आंदोलन को 26/11 के दिन ही दिल्ली कूच करवा दिया.
किसानों के संबंधित इन तीनो बिलो के प्रति ऐसी-ऐसी झूठी बातें फैलाई गयी जिसका हक़ीक़त में इन बिलों को लेकर कोई संबंध नहीं हैं जैसे की कांग्रेस का कहना है मंडी ख़त्म हो जाएगी, सरकार कह रही है मंडी वैसे ही काम करेगी जैसे कर रही हैं. बस फर्क यह होगा की किसान को एक और बाजार मिल जाएगा जहाँ वो अपनी फसल बेच सकेगा.
कांग्रेस का कहना हैं की सरकार MSP समाप्त कर रही हैं, जबकि सरकार का कहना है की MSP समाप्त नहीं होगी. अगर किसान को मंडी और कॉर्पोरेट का भाव सही न लगे तो वह MSP दाम पर आकर सरकार को अपनी फसल बेच सकती हैं. किसी भी बिल को पढ़ना और समझना किसी भी आम नागरिक के लिए आसान नहीं होता. ऐसे में कांग्रेस इसका फायदा उठाते हुए, 26/11 के मौके पर पुराने किसान आंदोलन के तस्वीरों को साझा करके अपनी नाकामी पर पर्दा डालती हुई नज़र आई.