कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है जिसका प्रत्येक नेता अपने हिसाब से बयान देता हैं, जिस वजह से मीडिया और देश के नागरिकों को पार्टी का स्टैंड ही नहीं नज़र आता. जैसा की आप सब जानते होंगे कुल दस आसियान देशों ने एक बड़ा क्षेत्रीय आर्थिक समझौता किया हैं. इस समझौते के तहत इन देशों में होने वाले व्यापार में या तो टैक्स बिलकुल नहीं देना पड़ेगा या बहुत कम देना पड़ेगा.
इस तरह से चीन अपना सामान भारतीय बाज़ारों में भर देता और मोदी सरकार की मेड इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी योजनाएं कागज़ों तक सिमित रह जाती. इसी को देखते हुए मोदी सरकार ने बहुत पहले ही RECP में शामिल न होने का फैसला कर लिया था और जब यह समझौता हुआ तो जाहिर सी बात है भारत इसमें शामिल नहीं हुआ.
ऐसे में भारत द्वारा लिए गए इस फैसले में कांग्रेस दो धारी तलवार की तरह वार करने से नहीं चूक रही. एक तरफ कांग्रेस के नेता उन लोगों को खुश करने में लगे हैं जो चाहते थे की यह समझौता हो तो कांग्रेस के कुछ नेता उनके लिए बयान दे रही है की यह मोदी सरकार का गलत फैसला हैं. भारत को RECP में शामिल होना चाहिए था यह दुनिया का सबसे बड़ा आर्थिक समझौता हैं.
दूसरी तरफ कांग्रेस के कुछ नेता राष्ट्रवादी लोगो को खुश करने के चक्कर में बयान दे रही है की कांग्रेस के दबाव में आकर मोदी सरकार ने RECP समझौते पर अपने हस्ताक्षर नहीं किये. जैसे की पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा की, “आरसीईपी वास्तव में ‘रीजनल चाइना एक्सपैंशन प्रोग्राम’ है और इसमें शामिल न होकर भारत ने सही काम किया है.”
वहीँ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने बयान देते हुए इसे ‘दुर्भाग्यपूर्ण और गलत सलाह पर आधारित’ तथा ‘रणनीतिक भूल बता डाला. भारत के पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम जिन्होंने अपनी बालकनी में पड़े गमलों में सालाना 7 करोड़ गोबी उगाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था उनका कहना है की, “इस पर संसद में बहस होनी चाहिए थी. पार्टी में इस पर आम राय बनने के बाद ही वह कुछ कहेंगे.”