भारतीय जनता पार्टी ने तमिलनाडु में ‘वेल यात्रा’ निकालने का ऐलान किया हैं, इस ऐलान के साथ ही स्थानीय पार्टियां अपने वर्चस्व की लड़ाई के लिए एक जुट आगे आने लगी हैं. इसी बीच NDA में BJP की सहयोगी पार्टी AIADMK ने भी BJP के खिलाफ मोर्चा खोल दिया हैं और बयान दिया है की, “भगवा झंडा लहराने वालों द्वारा धार्मिक घृणा फैलाने’ की अनुमति नहीं दी जाएगी.”
AIADMK ने अपने मुख्य पत्र में कहा है की तमिलनाडु की सरकार ऐसी किसी भी यात्रा निकालने की अनुमति नहीं दे सकती जो लोगों को धार्मिक आधार पर बाँट दे. उन्होंने कहा की द्रविड़ प्रदेश में धर्म मानवता के लिए दिशा-निर्देशक प्रकाश-पुँज हैं, न कि घृणा और विभाजन का माध्यम इसीलिए हम यह यात्रा नहीं निकालने देंगे.
आपको बता दें की बीजेपी नार्थ ईस्ट में अपना वर्चस्व कायम करने के बाद साउथ इंडिया में अपने विस्तार का बिगुल फूंक चुकी हैं. इसी क्रम में अमित शाह 21 नवंबर को तमिलनाडु के दौरे पर जाने वाले हैं. आपको बता दें की पश्चमी बंगाल के साथ साथ तमिलनाडु में भी विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.
बीजेपी राज्यसभा में अपना संख्याबल मजबूत करना चाहती है तो उसे दोनों में से कम से कम एक राज्य में सरकार बनाने योग्य सीटों को जीतना होगा. ऐसे में 1957 से लेकर 2018 तक 61 सालों में 13 विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव जीतने वाले एम करूणानिधि के निधन के बाद बीजेपी के पास पहला मौका होगा जब वे तमिलनाडु में पुरे जोश के साथ चुनाव लड़ सकेगी.
एम करूणानिधि के इलावा दूसरी सबसे बड़ी नेता जयललिता जिन्होंने 27 सालों में 6 विधानसभा क्षेत्रों से 9 चुनाव जीते उनका भी निधन हो चूका है तो तमिलनाडु को अब एक बड़े नेता की तलाश है जो आकर जयललिता और एम करूणानिधि की कमी को पूरा कर सके.
वैसे तो तमिलनाडु में यह वेल यात्रा 6 दिसंबर को होने वाली थी लेकिन तमिलनाडु सरकार ने 100 से अधिक लोगों के जमावड़े वाले किसी भी राजनीतिक, समाजिक या धार्मिक जुटान को प्रतिबंधित करते हुए वेल यात्रा पर अनुमति देने से ही इंकार कर दिया. वेल यात्रा को बीजेपी अपनी रथ यात्रा के तर्ज़ पर निकालने वाली थी जो तमिलनाडु के छह सबसे बड़े मंदिरों से होकर गुजरती, अब आगे क्या होगा यह देखना दिलचस्प होगा.