दिल्ली के वह दंगे जिनपर भरपूर सियासत हुई, दंगाइयों के साथ पहले आम आदमी पार्टी के नेता खड़े हुए फिर बाद में आम आदमी पार्टी के नेता ही दंगाई निकले. खैर इस दौरान एक मुस्लिम दंगाई शाहरुख़ पठान जिसे रविश कुमार NDTV पर अनुराग बता रहे थे वह पुलिस पर बन्दूक तान देता हैं.
यहां तक की वह उस दौरान सीधे तौर पर फायर भी करता हैं, वामपंथी मीडिया और दंगाई अनुराग बताकर हिन्दू आतंकवादी का पोस्टर बॉय बनाने की पूरी तैयारी कर लेते हैं की अचानक पता चलता है की उसका असली नाम शाहरुख़ है. खैर पुलिस काफी मुश्किल के बाद शाहरुख़ पठान को गिरफ्तार कर लेती हैं.
अब शाहरुख़ पठान अदालत में अपनी जमानत के लिए याचिका दायर करता है. उस याचिका पर सुनवाई कर रहे अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने शाहरुख़ के वकील से कहा की, “पुलिस कांस्टेबल पर पिस्तौल तानने का अर्थ है कि आरोपित कानून को खिलवाड़ समझता है. इस घटना के संबंध में रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्यों के आधार पर यह स्पष्ट है कि उसकी प्रवृति ऐसी नहीं है कि उसे राहत दी जा सके.”
शाहरुख़ पठान के वकील ने अदालत में यह कहते हुए याचिका दायर की थी की, शाहरुख़ पठान के पिता के घुटने का इलाज़ होना है और उनकी माता की रीढ़ की हड्डी में गहरी चोट हैं. इसलिए शाहरुख़ को जमानत दी जाये जिससे वह अपने माँ बाप का ख्याल रख सके.
इसके इलावा शाहरुख़ पठान के वकील ने अपने मुवक्किल के बचाव में एक फ़िल्मी और बचकानी दलील देते हुए कहा की, “साम्प्रदायिक दंगे के दौरान उनका मुवक्किल घटनास्थल से गुजर रहा था, उसी दौरान हुई पत्थरबाजी के दौरान वह एक शेल्टर के नीचे जाकर छिपने लगा, लेकिन वहाँ उसे जगह नहीं मिली. जब वो जगह तलाश रहा था तभी भीड़ में से ही किसी अनजान आदमी ने उसे पिस्तौल थमा दी, जिसका इस्तेमाल शाहरुख ने अपनी सुरक्षा के लिए किया था.”
जबकि कोर्ट ने साफ़ तौर पर यह कहते हुए दोनों अपील को खारिज कर दिया की यह साम्प्रदायिक दंगे कोई मामूली दंगे नहीं थे. यह एक आतंकी घटना थी जिसमें 50 से ज्यादा लोग मारे गए हैं. इसलिए हम इन दलीलों को खारिज करते हैं और शाहरुख़ को जमानत नहीं दी जा सकती. अगर आपको शाहरुख़ के बाप के लिए तरस आ रहा है तो जान लीजिये उसपर भी दिल्ली के कई इलाकों में दंगों के दौरान तरल पदार्थ (तेज़ाब) की तस्करी करने का आरोप हैं.