कुछ महीने पहले तक खाद्य तेल आसमान को छूने लगे थे। इसे देखते हुए मोदी सरकार ने तुरंत कुछ उपाय किए ताकि कीमतों को नीचे लाया जा सके. आर्थिक सर्वेक्षण 2022 से यह स्पष्ट हो गया है कि मोदी सरकार ने खाद्य तेल की कीमतों को कैसे नियंत्रित किया।
मोदी सरकार ने 14 अक्टूबर 2021 से अब तक सभी खाद्य तेलों पर मूल शुल्क कम कर दिया है, जिससे कीमतों में कमी आई है। सरकार ने रिफाइंड पाम ऑयल यानी पामोलिन, रिफाइंड सोयाबीन तेल और रिफाइंड सूरजमुखी तेल पर बेसिक ड्यूटी 32.5 फीसदी से घटाकर 17.5 फीसदी कर दी है. इससे आज के समय में खाद्य तेल की कीमतों में काफी गिरावट आई है।
इतना ही नहीं, सरकार ने अब NCDEX पर सरसों के तेल में वायदा कारोबार को निलंबित कर दिया है और जमाखोरी को रोकने के लिए स्टॉक सीमा भी लगा दी है। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने 31 मार्च 2022 तक स्टॉक की सीमा तय की है।
खाद्य तेल की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए सरकार चावल की भूसी के तेल जैसे कुछ अन्य खाद्य तेलों के उत्पादन पर भी जोर दे रही है। इसका उत्पादन बढ़ाने से आयात पर निर्भरता कम होगी। वहीं, सोया मील की कीमत को नियंत्रण में रखने के लिए सरकार ने इसे आवश्यक वस्तुओं की सूची में शामिल किया है.