आपको जीवन में कभी न कभी ऐसे इंसान जरूर मिले होंगे, जो झूठ बोले बगैर नहीं रह सकते. फिर वह झूठ खुद को सही साबित करने के लिए बोला गया हो या फिर किसी दूसरे को आपकी नज़रों में नीचे गिराने के लिए. ऐसा ही एक मामला सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण के साथ भी हैं.
कुछ समय पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना केस में प्रशांत भूषण को 1 रूपए का जुर्माना लगाया था. कुछ लोग सोच रहे होंगे की 1 रूपए से क्या होगा? लेकिन यह जुर्माना उनसे पैसे वसूलने के लिए नहीं बल्कि उन्हें एहसास दिलाने के लिए लगाया गया था. अगर आप किसी इज्जतदार और सच्चे इंसान को झूठा साबित करके 1 रूपए का जुर्माना लगाएंगे तो वह शर्म के मारे समाज से खुद को अलग थलग रखना शुरू कर देगा.
लेकिन प्रशांत भूषण की बात अलग हैं, वह न तो शर्म महसूस करते हैं और न ही अपनी आदतों से बाज़ आते हैं. आतंकियों के लिए रात को सुप्रीम कोर्ट खुलवाने वाले प्रशांत भूषण को फिर एक बार बिना शर्त माफ़ी मांगनी पड़ी. दरअसल भारतीय संविधान में देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश को एक विशेष दर्ज़ा दिया गया हैं.
इसलिए अगर यह पद पर रहते हुए किसी राज्य का दौरा करते हैं तो इनकी जिम्मेदारी उस राज्य की सरकार की होती हैं. यह कानून कम लोगों को पता है, लेकिन प्रशांत भूषण को न पता हो यह कैसे होगा? वो तो सुप्रीम कोर्ट के वकील है बिना कानून पढ़े डिग्री थोड़ी न पास की होगी. लेकिन वो यह भी जानते है की देश की जनता भोली है उसे इतने बेचिदा कानून नहीं पता होते.
इसलिए मध्यप्रदेश में दौरे के दौरान जब शिवराज सिंह चौहान ने मुख्य न्यायधीश को अपने हेलीकाप्टर की सेवा प्रदान की तो प्रशांत भूषण ने मुख्य न्यायधीश को एक प्रकार से बीजेपी का एजेंट बता दिया. बाद में प्रशांत भूषण को एहसास हुआ की उनसे एक बार फिर गलती हुई तो उन्होंने अपना थूका बड़े प्यार से चाटते हुए माफ़ी मांग ली. हालाँकि इस माफ़ी के बाद वह दुबारा ऐसी हरकत नहीं करेंगे, उनका इतिहास देखते हुए इसकी उम्मीद कम ही नज़र आती हैं.