कांग्रेस के समर्थक दुनिया के एकलौते ऐसे इंसान हैं, जिन्हे कांग्रेस पार्टी द्वारा की जाने वाली हर प्रक्रिया सही लगती है और वही प्रक्रिया अगर कोई दूसरा कर दे तो वो गलत लगने लगती हैं. ऐसे ही लोगों में से एक है हमारे अपने रविश कुमार. जैसा की आप सब जानते हैं अमेरिका में चुनावों के दौरान कितना हंगामा हुआ.
‘ट्रम्प’ और ‘जो’ दोनों ने ही अमेरिका इतिहास से सबसे अधिक वोट हासिल करने का रिकॉर्ड तोड़ दिया. इसके बावजूद कुछ राज्यों में बहुत ही छोटे मार्जिन के साथ कभी ‘ट्रम्प’ आगे निकलते तो कभी ‘जो’. ऐसे में ‘ट्रम्प’ लगातार सोशल मीडिया और न्यूज़ मीडिया में अमेरिकी चुनावों में हुई गड़बड़ी की बात करते रहे.
रविश कुमार ने इस पर अपनी पत्रकारिता करते हुए कहा की, जैसे ही ‘ट्रम्प’ अपना चुनाव हरने के नजदीक पहुंचे उन्होंने झूठ के एक्सीलेटर पर अपना पाँव रख दिया. जबकि यह वही रविश कुमार हैं, जो 2014 के बाद विपक्षी दल द्वारा EVM को लेकर लगाए आरोप को सही साबित करने चक्कर में अपने चैनल्स पर लम्बी-लम्बी डिबेट्स करवाते हैं.
तो सवाल यह है की, अगर ‘ट्रम्प’ ने अपनी हार को देखते हुए झूठ के एक्सीलेटर पर पाँव रखा है. भारत में भी तो विपक्ष चुनाव हारने के बाद ही EVM पर सवाल उठाता हैं. कभी आपने देखा है की, किसी विपक्षी दल ने चुनाव जीतने के बाद EVM पर सवाल उठाये हों? इससे यह साबित होता है की या तो आप ट्रम्प और भारतीय विपक्षी दल दोनों को गलत कहिये, या दोनों को सही कहिये. क्योंकि अगर ट्रम्प चुनाव जीत जाते तो वह फिर चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लगाते?
ट्रम्प ने चुनाव हारने के दौरान वही किया जो भारतीय विपक्ष करता है. वह अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट गए, वकीलों की फ़ौज लगा दी, सोशल मीडिया भ्रामक ख़बरें फैलाना शुरू किया और उनके स्पोटर्स बिना किसी जानकारी के अमेरिकी सड़कों पर उतर आये. ऐसा मंजर भारत में भी तो देखने को मिलता है, जब विपक्ष चुनाव हारने के करीब होता है तो उनके नेता EVM का राग अलापना शुरू कर देते हैं. ऐसे में यह कहना की ट्रम्प झूठे है और भारतीय विपक्ष सही, यह कैसी निष्पक्ष पत्रकारिता हैं?