कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में कहा की बीजेपी संविधान से ‘धर्मनिरपेक्ष’ हटाने का प्रयास कर सकती हैं. इससे देश में धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत और परिपाटी के रूप ‘खतरे’ में आ जायेंगे. आपको बता दें की मीडिया से यह मुलाकात थरूर ने अपनी नई किताब ‘द बैटल ऑफ बिलांगिंग’ की चर्चा के लिए की है.
शशि थरूर का कहना है की धर्मनिरपेक्ष शब्द को अगर बीजेपी संविधान से हटा भी देती हैं. तो भी भारतीय लोगों की रगों में धर्मनिरपेक्ष रस चूका है, इससे अब कोई फर्क नहीं पड़ेगा की यह शब्द संविधान में है या नहीं. उन्होंने आगे कहा की कांग्रेस को बीजेपी के विकल्प के रूप में बीजेपी लाइट नहीं बनने का प्रयास नहीं करना चाहिए. इससे राजनितिक तौर पर कांग्रेस का रिजल्ट बिलकुल जीरो होगा.
उन्होंने कहा कांग्रेस इस वक़्त काफी कमजोर है, ऐसे में कई नेता चाहते है की कांग्रेस हिंदुत्व के सहारे चुनावों में उतरे. ऐसा प्रयास किया भी गया था लेकिन इसका रिजल्ट और ज्यादा बुरा साबित हुआ. इसको लेकर उन्होंने सपष्ट रूप से बयान देते हुए कहा की, “कांग्रेस पार्टी में हमारे बीच यह बिल्कुल स्पष्ट है कि हम अपने को भाजपा का दूसरा रूप नहीं बनने दे सकते.”
शशि थरूर ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को बीजेपी सरकार द्वारा निरस्त किये जाने के मुद्दे पर कहा की, “यह सिर्फ 370 को निरस्त करने का मुद्दा नहीं है, बल्कि नेहरू जी ने भी कहा था कि यह अस्थायी प्रावधान है. लेकिन संविधान में स्पष्ट है कि यह कैसे किया जाना चाहिए. इसलिए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप अनुच्छेद 370 पर चर्चा के किस ओर खड़े हैं-कुल मिलाकर विभिन्न मत किसी भी लोकतंत्र की जीवनरेखा होते हैं.”
उन्होंने आगे कहा की, “इसे जिस तरह क्रियान्वित किया गया, रातों-रात हमारे साथी नागरिकों पर उनकी ही सरकार ने जिस तरह नियंत्रण कार्रवाई की, सभी भारतीयों को प्रदत्त लोकतांत्रिक अधिकारों का जानबूझकर निरादर करना देश के भविष्य के लिए अच्छा नहीं है.” अगर आसान भाषा में कहें तो शशि थरूर का कहना है की 370 और 35A जम्मू कश्मीर के नेताओं के मत से हटाया जाना चाहिए था, जबकि हम सब जानते हैं न तो वह 70 सालों से इसके लिए तैयार थे और न आने वाले 70 सालों तक तैयार होते. तो सवाल यह है की क्या कांग्रेस सरकार चाहती भी थी की जम्मू कश्मीर से 370 और 35A यह हटे या नहीं?