बिहार में विधान सभा चुनाव हो रहे है आज हम आपको बताने जा रहे है की आखिर कैसे आपका एक एक वोट किसी पार्टी के लिए जरूरी होता है. वैसे तो देश और दुनिया में ऐसे भी मामले देखे गए है जहां एक वोट से किसी की हार या जीत तय हुई हो, या फिर ऐसे भी मामले देखे गए है जहा मामला टाई हो गया हो और सिक्का उछाल कर फिर हार या जीत का फैसला किया गया हो.
इस बार बिहार चुनाव में राज्य की 243 विधानसभा सीटों पर 7.2 करोड़ से ज्यादा वोटर अपना कीमती वोट डालते हुए, राज्य में किसी पार्टी को सरकार बनाने की कमान सौंपेंगे. महामारी के मध्यनज़र इस बार 7 लाख हैंडसैनिटाइजर, 46 लाख मास्क, 6 लाख PPE किट्स और फेस शील्ड, 23 लाख जोड़े ग्लब्स का इस्तेमाल भी किया जायेगा.
आज हम आपको 10 साल पहले हुए इसी तरह के चुनाव की वो कहानी बताने जा रहें हैं. जिसमें बीजेपी ने पहली बार लालू प्रसाद यादव के गढ़ में सेंध लगाई थी. भागलपुर जिले की बिहपुर विधानसभा सीट पर 70 के दशक से ही पहले कांग्रेस और फिर वामपंथ का दबदबा रहा था. इस सीट पर 4 बार कांग्रेस, 4 बार सीपीआई और फिर लालू यादव का गढ़ बन गया. जनसंघ और जनता पार्टी ने एक बार यहाँ चुनाव जीता था लेकिन कुछ ख़ास दबदबा नहीं बना सकी.
2010 में हुए चुनाव यहां एक अलग ही कहानी लिखने वाले थे. दरअसल मुकाबले में कांटे की टक्कर थी, बीजेपी ने कुमार शैलेंद्र और RJD ने शैलेश कुमार को मैदान में उतारा था, कांग्रेस अशोक कुमार के साथ अपना गढ़ वापिस लेने की फिराख में थी, उधर सीपीआई ने भी अपना टिकट रेणु चौधरी को दिया था. निर्दलीय उमीदवार बिंदेश्वरी का भी इस एरिया में काफी दबदबा था. इस दौरान कुल 12 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे हुए थे.
शुरुआत में ही सबको पता था की मुकाबला बीजेपी और RJD के बीच का है बाकी सब वोट काटने के मकसद से चुनाव मैदान में उतरे हैं. बिहार में सभी ByPoll RJD के विरुद्ध थे लेकिन इस सीट को लेकर सबका विश्वास था की यह RJD फिर से जीत लेगी. लेकिन जब चुनाव नतीजे ए तो पता चला लालू के गढ़ में सेंध लग चुकी हैं और बीजेपी प्रत्याशी कुमार शैलेंद्र को 48027 वोट मिले है वहीं आरजेडी के शैलेश कुमार 47562 वोट ही मिल पाए हैं. इस तरह से बीजेपी ने मात्र 465 वोटों से इस चुनावी सीट को अपने नाम कर लिया.