जम्मू कश्मीर से जब से धारा 370 और 35A हटी हैं, कुछ नेताओं को अपनी राजनितिक दुकाने बंद होते हुए नज़र आ रही हैं. अब इसी मामले में मीडिया को ब्यान देते हुए जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक और सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञ कैप्टन अनिल गौर (रिटायर्ड) ने बताया की, महबूबा और अब्दुल्लाह जैसे नेता जम्मू कश्मीर में शांति भंग करना चाहते हैं. इस्लाम के नाम पर यह लोगों को भड़का रहें हैं, ऊपर से केंद्र सरकार की तरफ से इन नेताओं पर किसी प्रकार का सिकंजा नहीं कसा जा रहा.
उन्होंने आगे कहा की आज कश्मीर में हर कोई शांति और अमन चाहता हैं. लेकिन जिस तरह नेताओं की ब्यानबाजी हो रही हैं, यह शांति और अमन ज्यादा दिन नहीं टिकेगा. इसके जिम्मेदार मेहबूबा और अब्दुल्लाह परिवार के साथ साथ केंद्र सरकार भी होगी, जो इन नेताओं पर अभी तक कोई नकेल नहीं कस रही.
नरेंद्र मोदी की बात करें तो उन्होंने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा का जिक्र करते हुए कहा था की देश भर में सप्लाई होने वाली पेंसिल का 85 फीसदी प्रोडक्शन पुलवामा में होता हैं. चिनार की लकड़ी पुलवामा के स्थानीय लोगों के जीवन को खुशहाल बना रही हैं और बीजेपी सरकार उनके विकास के लिए कई तरह की योजनाएं ला रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह ब्यान देने का मतलब था की, पुलवामा के युवा अपने रोज़गार की तरफ ध्यान दें. सरकार आपके साथ है और रोज़गार में जितना हो सके सहयोग करने के लिए भी तैयार हैं. परन्तु सुरक्षा एजेंसियों की माने तो पुलवामा आतंकियों का नया केंद्र बन रहा हैं, यहां के मदरसे लगातार बच्चों का माइंड-वाश कर रहें हैं. ऐसे में वह बच्चे बड़े होकर डिग्री लेकर रोज़गार ढूंढेगे या पढ़-लिखकर बम बनाना शुरू करेंगे.
कैप्टन अनिल गौर की माने तो जम्मू कश्मीर में युवाओं और बच्चों के मन में भारत और भारतीय सरकार के लिए नफरत पाकिस्तान से ज्यादा मेहबूबा और अब्दुल्लाह परिवार द्वारा की गयी हैं. इन नेताओं के भारत से अलग होने वाले ब्यान लोगों के मन में कहीं न कहीं नफरत भर देते हैं और नतीजा क्या होता है आप सब जानते हैं. उन्होंने कहा की अब्दुल्लाह परिवार और महबूबा परिवार कश्मीर के लोगों में भारत के खिलाफ नफरत भरने का जितना दोषी है उतनी भारतीय सरकार भी है जो की ऐसे ब्यान देने वाले नेताओं के खिलाफ लोकतंत्र और बोलने की आज़ादी के नाम पर कार्यवाही ही नहीं करती.